सोमवार, 27 जून 2011

गायब होने की मशीन

खबर है कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी वस्तु बनाने में सफलता पाई है जिसके आधार पर देर सबेर ऐसा आवरण वैज्ञानिक रूप से बनाना संभव होगा, जिसे पहनने के बाद कोई देख न सके। गायब होने की मशीन खोज की संभावना पर देश में मिली-जुली प्रक्रिया हुई है। देश कहीं गम तो कहीं खुशी का महौल है। संभावित जैकेट के पक्ष में और विपक्ष में जगह-जगह रैली निकाली गई। लफुआ एंड कंपनी ने इसके पक्ष में रैली निकालकर सरकार से मांग की सरकार लफुओ की मांग के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं। और प्रत्येक लफुओं को एक-एक जैकेट मुफ्त बंटवाएं । वहीं शादी-शुदा औरतों ने कहा कि ऐसा कोई जैकेट उन्हें पतियों को काबू में रखने में बाधक सिद्व होगा। और वर्षों से चली आ रही पुरूषों पर उनका वर्चस्व समाप्त हो सकता है। हमारे संवाददाता बड़बोलन गुरू ने गायब होने की मशीन या जैकेट पर वीआईपी लोगों की राय जानने की कोशिश की। प्रस्तुत है उसका सारांश।योग गुरू बाबा रामदेव के एक प्रतिनिधि ने इस खोज पर वैज्ञानिकों को बधाईयां दी। बाबा के भक्त ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि देर से हीं सही वैज्ञानिकों की खोज निश्चित रूप से क्रांतिकारी है। वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में निश्चित रूप से योग का भी प्रयोग किया होगा। उन्होंने देर से हुई खोज पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अगर वैज्ञानिकों ने इसे पहले खोज लिया होता तो बाबाश्री को महिला का सलवार -समीज नहीं पहना पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी खोज की खबर अगर हमें पहले हो गई होती तो वे बाबा श्री से सत्याग्रह को कुछ समय समय के लिए टरकाने का आग्रह करते। हमलोग बाबा से अनुरोध करते कि अभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई का समय नहीं आया है। सही वक्त आने पर उसका शंखनाद करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि अगर अदृश्य होने का जैकेट वैज्ञानिकों ने पहले बना दिया होता बाबाश्री उसे पहनकर हीं सरकार से वार्ता के लिए पांच सितारा होटल जाते।
उधर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि ने भी देर से हुए इस खोज पर निराशा व्यक्त की है। सरकार के प्रवक्ताने कहा कि अगर यह खोज पहले हो जाती तो सरकार कई मुसिबतों से बच जाती। और भ्रष्टाचार में संलिप्त मंत्रीयों को इस्तीफा भी नहीं देना पड़ता। कारण की वे सार्वजनीक रूप से इस्तीफा दे देते और जैकेट पहनकर कुर्सी पर बैठते भी। फिर तो जेल की सजा उन्हें सजा नहीं मजा हो जाती। जब दिल चाहा तो जेल में रहा और जब दिल चाहा जैकेट पहनकर बाहर निकल आया।
यहीं नहीं उसने कहा कि केंद्र के चारों मंत्री उस जैकेट को पहनकर हीं बाबा रामदेव की आगवानी करते। जैकेट रहने की स्थिति में रामलीला मैदान वाली शायद स्थिति हीं नहीं आती। वैसे प्रवक्ता ने आशंका जाहिर की कि बाबा रामदेव भी उस जैकैट को पहनकर आंख-मिचैली का खेल भी खेल सकते थे। बिना जैकेट के जब उन्होंने इतना छकया तो जैकेट पहन लेते तो भला क्या होता। यह भी होता कि पांच हजार पुलिस के जवान उस जैकेट को पहनकर आते और बताते कि उन्होंने डंडे नहीं बरसाये भीड़ यूं हीं रामलीला मैदान से भाग खड़ी हुई।
अन्ना हजारे की टीम ने भीे ऐसे जैकेट का स्वागत किया है। और कहा है कि अगर ऐसा जैकेट सोलह अगस्त से पहले बन गया तो निश्चित रूप से सत्याग्रही उसे पहनकर बैठेंगे। और अगर दिन में नहीं पहने तो रात को तो पहन हीं लेंगे। क्या पता कब पुलिस आ धमके। जैकेट पहने रहने से वे पुलिस के नजरों से तो बच जाएंगे न।

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