शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

आडवाणी एवं मोदी में मतभेद

कारों को देना पड़ता है टेस्ट- जनसंख्या अधिक होने पर बेरोजगारी तो बढ़ेगी हीं न।

राहुल की सेंचुरी से जीती सीपीएस अकैडमी- क्रिकेट भी खेलने लगे क्या?

आनंद विहार बस स्टाॅपःबीच सड़क पर रूकती है बस- यात्री दोनो ओर से चढ़ते होंगे।

चुप रहिए यात्रा पीएम पद के लिए नहींः गड़करी- वरना मोदीजी भी निकाल देंगे।

गंाधी और रोजगार- विरोधी क्योंकि गांधी जोड़-तोड़ के खिलाफ थे।

अमेरिका दबाव न बढ़ाये:पाक -वरना हमारे प्रधानमंत्री एक-दो बार और बार चीन की यात्रा कर आएंगे।

आडवाणी एवं मोदी में मतभेद-पार्टी विद् डिफरेंस।

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

अमेरिका एवं पाकिस्तान का प्यार

यार बड़बोलन अमेरिका एवं पाकिस्तान का प्यार तो इन दिनों देखते हीं बन रहा है।

क्या कुछ खास बात हुई है क्या?
हां जरदारी ओबामा से मोबाइल पर गा रहे थे तुम मुझे यूं भूला न पाओगे।

बुधवार, 28 सितंबर 2011

मैं रथ पर क्यों नहीं सवार हो सकता

पहले के जमाने राजा- महाराजा रथ की सवारी करते थे। संभ्रांत लोगों की भी सवारी का मुख्य साधन रथ था। आज के राजा-महाराजा भी उस षाही परम्परा को कायम रखे हुएं हैं। और सदा नही ंतो कभी-कभी रथ पर सवार होकर अपनी षौक पूरा कर हीं ले रहे हैं। जब साधु-सन्यासी तक रथ पर सवारी का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं तो मैं तो ठहरा सांसारिक व्यक्ति। मेरे अंदर भी रथ पर सवार होने की तीव्र इच्छा है। हवाई जहाज पर सवार होते-होते मन भर गया है। उसमें वैसा आकड्र्ढण नहीं रहा। क्योंकि वह लोगों का ध्यान खीचने में असमर्थ रहा है। आदमी फुर्र सा यहां से वहां पहुंच जाता है और लोग जान हीं नहीं पाते। टिकट दिखाना पड़ता है।
लेकिन मेरे रथ पे सवार होने की बात से कुछ लोगों को कुछ-कुछ होने लगा है। उनका कहना है कि रथ पर सवार होने के लिए मेरे पास पात्रता नहीं है। इसपर मेरा कहना है कि क्या और लोग जो रथ पर सवार हो रहे हैं वो आपको सर्टीफिकेट दे रहे हैं। जो आप मुझसे आषा रखते हैं। ऐसा नहीं कि केवल मेरा हीं रथ निकल रहा हो। सौ पचास रथ में मेरा रथ भी निकल जाएगा तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा।
आखिर बाप-दादा ने किस लिए जमीन-जायदाद छोड़ी है। मेरे सुख के लिए हीं न। मेरा सुख रथ में सवार होने में है। मैंने जायज-नजायज तरीके से धन किस लिए कमाया है।

आखिर मेेरे पास किस चीज की कमी है कि मैं रथ पर सवार नहीं हो सकता। मेरे पास धन है दौलत है । नौकर है चाकर है। मैं भी लोगों को सभा स्थल पर लाने के लिए गाडि़यों की व्यवस्था करवा सकता हूं। मेरी राजनीतिक योजना पाइप लाईन में हीं सही लेकिन है। मेरे पास भी चेले- चमचे हैं। मैं भी लोगों को पकवान खिला सकता हूं। मैं भी नोट बंटवा सकता हूं। अगर लोगों के पास समाज को कुछ देने के लिए है तो मेरे पास भी है। मेरा भी जीवन लोगों के भाग्योदय पर गहरा रिसर्च करने में बीता है। मेरे बताए रास्ते पर चलकर लोग रातो-रात अपना किस्मत चमका सकते हैं। मेरा भी रथ लोगों के जीवन में रंग लाएगा तरंग लाएगा। बेरोजगारों को रोजगार दिलाएगा। कई कार्यकर्ताओं का किस्मत चमकाएगा। उन्हें भीड़ जुटाने का अवसर दिलाएगा।
मैं भी आरक्षण का हिमायती हूं। मैं भी इसे जातिगत एवं वर्गगत आधार पर लागू करना चाहता हूं। क्योंकि आर्थिक आधार पर लागू करने से सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। मेरे पास भी भ्रष्टाचार मिटाने के फाॅर्मूले हैं। पाकिस्तान को ठीकाने लगाने के मंसूबे हैं।
मैं भी अच्छा वक्ता हूं। मैं भी विद्वता दिखाऊंगा। जनता को रिझाउंगा। हास्य-विनोद से लोगों को गुदगुदाऊंगा। वादों की डोज पिलाऊंगा। कम से कम महीने दिन रोज पिलाऊंगा। कल्पना लोक की सैर कराऊंगा।
आखिर सब अपनी मन की हसरत पूरी कर रहे हैं। तो मैं क्यों नहीं कर सकता। सब अपने मन का भड़ास निकालकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकता। मेरे भी रथयात्रा के दूरगामी परिणाम होने जा रहा है। मेरी रथयात्रा भी इतिहास बनने जा रही है। मेरे रथ को कोई रोककर इतिहास रच सकता है।

चिदंबरम का नेटवर्क बिजी

गवर्नर ने मांगा मोदी से हिसाब- क्योंकि वे विकास कार्यों में सरकारी धन पानी की तरह बहा रहे थे।

चिदंबरम का नेटवर्क बिजी- उनकी पूछ जो बढ़ गई है।


इस्तीफे को तैयारः चिदंबरम- क्योंकि तेरे दर से हम सम्मानपूर्वक जाना चाहते हैं और तेरी गलियों में न रखेंगे कदम गाना चाहते हैं।

चिदंबरम अहम सहयोगी हैं- वित्तमंत्रालय द्वारा पीएमओ को भेंजा गया नोंट तो सिर्फ मजाक था।

रिकार्ड में दर्ज है महबूबा मुफ्ती का सच- मतलब कि इसके पहले भी वो सच बोल चुकी हैं।

जाॅन करेंगे अखाड़े में प्रैक्टिस- पहलवानी करनी होगी।

प्रधानमंत्री पंचायत करेंगे- और फैसला सोनियां जी सुनाएंगी।

अरबिन्द केजरीवाल की बैटिंग


प्रषांत भूड्ढण के उस बयान पर आपका क्या कहना है जिसमें उन्होंने कष्मीर की आजादी को लेकर जनमत संग्रह करवाने की बात की थी।
उत्तरः माना कि सरकार एवं अन्ना की टीम के बीच 20-20 खेला जा रहा है। जिसमें अन्ना की टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्षन किया है। लेकिन ये उनका अति उत्साह में खेला गया षाॅट है जो उन्हें कैच भी करा सकता था। माना कि 20-20 के मैच में आपको तेजी से रन बनाने पड़ते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं आप गेंद की नेचर पर एकदम ध्यान न दें। ऐसा करने पर सरकार के फील्डर उन्हें कभी भी लपक सकते है। उनकी फील्डिंग अबतक लाजबाब रही है। मेरा उनको सलाह है कि षाॅट का चयन सावधानी से करें। इस तरह के षाॅट किरण बेदी ने भी खेला था और आउट होते-होते बचीं थी। हां अरबिन्द केजरीवाल ने अबतक जरूर पिच के हिसाब से बैटिंग की है।

सोमवार, 26 सितंबर 2011

प्रणव बोले, 2जी पर नहीं बोलूंगा

प्रणव बोले, 2जी पर नहीं बोलूंगा- किसको सुनाएं कौन सुनेगा इसलिए चुप रहते हैं।

आठ साल के कार्यकाल में चौथी बार जन्मदिन विदेष में मनाएंगे मनमोहन- वह भी अमेरिकी फिजूलखर्ची का परिणाम जानने के बाद भी।

पीएम से पूछताछ कर सकती है पीएसीः जोषी- हां यह प्रधानमंत्री पद की गरिमा के अनुकूल होगा।

महाराष्ट्र में हर कोई लूट रहा है किसानों को- मतलब की वे सबसे अधिक धनवान हैं।

छात्रा से छेड़छाड़ पर टीचर सस्पेंड- गुरूदेवो भव।

हिमाचल में षिक्षकों ने दिया अल्टीमेटम- यानी अनुषासन का पाठ पढ़ाते-पढ़ाते वे अनुषासनहीनता पर उतर आए ( क्रिया तथा प्रतिक्रिया बराबर एवं विपरीत दिषा में होती है तथा दो भिन्न पिंडों पर कार्य करती है।)

पंद्रह मछुआरों को बंधक बनाया पाक ने- बहादुरी का मेडल के लिए।

गरीबों के लिए षहरों में डोरमेटरी बनाएगी सरकार- जिसमें ठहरने पर वे अपना घर का सपना भूल जाएंगे।

रविवार, 18 सितंबर 2011

बेटा पापा पर नजर रखना

बेटा पापा पर नजर रखना
अन्ना के आंदोलन ने देष पर उतना प्रभाव नहीं छोड़ा था जितना सज्जन सिंह जी की षादी ने छोड़ा है। सज्जन सिंह की षादी के बाद देष में गृह युद्ध होना लाजीमी था। भारतीय परिवार आज सज्जन सिंह की बगावत का सामना कर रहे हैं। सबकुछ अन्दर- अन्दर चल रहा है। कहीं बगावट की षुगबुगाहट है तो कहीं उसको नियंत्रित करने के उपाय सोचे जा रहे हैं। तोड़ फोड़ की संभावनाएं तलाषते हुए जगह जगह घर फोड़ दल के सदस्य भी घुम रहे हैं। लफुआ एंड कम्पनी भी आग में घी डालने का मौका तलाष रही है और चटखारे लेकर चर्चा में मषगूल है। टीवी वाले अन्ना हजारे से पूछ रहे हैं कि सज्जन की षादी का प्रभाव क्या आपके अनषन से कम रहा। माताएं बेटे को हिदायत दे रहीं बेटे अपने पापा पे थोड़ी नजर रखना। इन दिनों वे बड़ी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं। माल में सनेमा देखने जा रहे हैं। अगर तुम मिल जाओ जमाना छोड़ देंगे गा रहे हैं। फेसबुक पर घंटों बिता रहे हंै। ये सब टीवी देखने का नतीजा है। बेटा अगर तुमने परिवार के सदस्यों को टीवी देखने से नहीं रोका तो बगावत के स्वर और सुनाई देगंे। बेटा अपने पापा के टीवी देखने पर एकदम रोक लगा देना। क्योंकि वे चटखारे लेकर सज्जन सिंह को देखते हैं फिर मुझे निरेखते हैं। वैसे मैंने अपनी योजना बना ली है। धारा 144 लागू कर दिया गया है। यानी उन्हें किसी नारी के साथ देखे जाने पर लाठी चार्ज का आदेष दे दिया गया है। मैने सोच लिया है कि अगर मेरे पति ने बगावत की तो उस सज्जनवा को छोड़ूंगी नहीं। यह सब ऊ बुढवा सज्जनवा के चलते हो रहा है नही ंतो मेरा मरद ऐसा नहीं था। गाली को भी चुपचाप सहन कर जाता था। लेकिन सज्जनवा के षादी करते हीं वह तन कर चलने लगा है। वैसे तुम चिंता न करो मैंने उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पूरा जाल बिछा दिया। तुम्हारें मामा एवं मामी को खुफिया विभाग का हेड बनाई हूं। समय-समय पर मैं खुद उच्चस्तरीय बैठक कर आवष्यक दिषा र्निदेष दे रही हूं। मैंने बेटे और नाती पोते को भी बुला लिया लिया है ताकि तुम्हारे पिता को बुढ़ापे एहसास होता रहे । वे नानाजी दादाजी कहेंगे तो उन्हें एहसास होगा कि वे जवान नहीं रहे।
इसके अलावे तुम्हारे पिताजी पर निगरानी रखने के लिए पाइवेट डिटेक्टिव भी मदद ले रही हूं। सबके सब अपने-अपने ढंग से चैबीसों घंटे निगरानी रख रहे हैं।
बेटा तुम तो जानते हो मेरी चिंता का कारण मेरे एवं उनके बीच कई वड्र्ढों से जारी षीत युद्ध है। कहीं ऐसा न हो उचित समय देखकर विरोध का बिगूल फंूक दें। और हमसब मुंह ताकते रह जाएं।
बेटे अगर उन्होंने सज्जन सिंह की तरह षादी रचा ली तुम सब को घर से निकलना मुष्किल हो जाएगा और मुझे षौतन से निपटना कठीन हो जाएगा। तख्ता पलट रोकने के लिए जरूरी कदम उठाना आवष्यक है। कारण कि नई सरकार के गठन के बाद कैसा फेर बदल होगा यह कहना मुष्किल है। किसको देष निकालने की सजा सुनाई जाएगी। किसको युवराज पद मिलेगा यह कहना एकदम जल्दीबाजी होगी। कुछ भी हो सज्जन सिंह के बगावत को रोकना होगा बेटा।

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

पेट्ोल ने पाॅकेट में लगाई आग

अब फटा पेट्ोल बम- तभी तो दाम बढ़ाकर सरकार कर रही है लोगों का गम कम।

अब तो पाई-पाई का हिसाब रखना पड़ेगा- इतनी कृपणता किस लिए।

पेट्ोल ने पाॅकेट में लगाई आग- फिर तो दाम बढ़ाकर सरकार ने ठीक हीं किया।

काम पर लौट आईं सोनिया- वरना अनुषासनात्मक कार्रवाई हो
सकती थी।

महंगाई तेरे कितने नाम- सचमुच भूल गया भगवान।

कई मंत्री दो साल में गरीब- मतलब देष की तरक्की करने की बात मात्र छलावा है/ क्या देष इसी तरह तरक्की कर रहा है।

षादी और बर्बादी में क्या अन्तर है ?

प्रष्नः षादी और बर्बादी में क्या अन्तर है ?
उत्तरः वस्तुतः दोनों एक हीं है। माया के चलते यह अलग-अलग दिखाई देता है। ब्रम्ह के समान इसे विभिन्न नामों से जानते हैं। जैसे ज्ञानी जानते हैं कि ब्रम्ह और माया दो नहीं बल्कि ब्रम्ह की हीं षक्ति माया है। ठीक इसी प्रकार षादी और बर्बादी में कोई खास अंतर नहीं है। षादी का हीं अगला चरण बर्बादी है। इसी से ज्ञानीजन षादी से दूर रहते हैं। समस्याओं से भागकर साधना में लीन रहते हैं।

प्रष्नः अगर मैं आपसे कहूं कि मुझे आपसे प्यार हो गया है तो इसे आप क्या कहें।
उत्तरः आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई है तभी आप हवाई जगह की जगह पैषेन्जर मेल चून रही हैं। कारण कि यह मेल द्वारिका की जगह सूदामा नगरी जा जाती है। चेहरा पर मत आइए दिल सच्चा है चेहरा झूठा। वैसे आप काफी समझदार हैं समझ गई होंगी। समझदार के लिए इषारा हीं काफी है।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

बालों में स्टाइल कैसे लाएं ?



प्रष्नः बालों में स्टाइल कैसे लाएं ?
उत्तरः तीस दिनों में तीस कलर लगाएं।
जितना हो सके उसे बढ़ाएं।
और लहराके जुल्फें चमन में न जाना कोई गाए मंद-मंद मुस्कुराएं।

प्रष्न- मेरे पति बहुत षर्मीलें हैं क्या करें।
उत्तरः आपने यह नहीं लिखा हैं वे कितने हद तक षर्मीले हैं। वैसे मेरी आपको सलाह है कि उनपर नजर रखें। क्योंकि यह भी हो सकता है कि आपके सामने षर्मीलापन दिखा रहे हों और चक्कर कहीं और चला रहे हों। अगर वे सचमुच षर्मीले हैं तो इसका उपयोग आप अपने बजट नियंत्रण में करें। जैसे कि अगर कोई आपसे षिकायत करे कि आपके यहां से कोई मेरे यहां पार्टी में नहीं आया। तो आप कहें आपतो भाई साहब जानते हैं मेरे पति कितने षर्मीले हैं।

पार्टी अभी किसी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में

पार्टी अभी किसी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोड्ढित नहीं करेगीः गडकरी - क्योंकि क्या पता मुझे भी पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह जैसा दूल्हा बनने की इच्छा हो जाये।

अमेरिकी रिपोर्ट गुजराती लोगों के लिए एक और सम्मान- इसके पहले वाला सम्मान मुझे वीजा देने से इनकार करना था।

मोदी के उपवास के समय जेटली होंगे साथ- खाई है रे हमने कसम संग रहने की।

विधायकों ने आधी विधायक निधि भी नहीं खर्च की- क्योंकि वे बचत के महत्व का जानते हैं/ क्योंकि अमेरिकियों की तरह देष को उन्हें मंदी में नहीं ले जाना है।

चैंपियनों को मात्र 25-25 हजार- क्योंकि हम नहीं चाहते कि क्रिकेट खिलाडि़यों की तरह वह दौलत के नषा में मस्त हो जाएं और जीतने से पहले हीं पस्त हो जाएं।

हंगामें के बाद जागा खेल मंत्रालय- षोरगुल सुनकर नीद टूट गई होगी।

भारतीय सीमा में घुसे चीनी सैनिक, पुराने बंकरों को किया नष्ट- बंकरों का पुर्ननिर्माण कर रहे होंगे।

होंडा सिटी में सवार होकर की थी लूट- यानी लूटने इज्जत से आये थे।

बुधवार, 14 सितंबर 2011

पहले प्यार को नहीं भूला पा रहा हूं।


प्रष्नः मैं अपने पहले प्यार को नहीं भूला पा रहा हूं।
उत्तरः उसके प्रेमी को याद करें। अगर केवल आपहीं प्रेमी रहे हों तो उसके गालियों के बारिष को याद करें। अगर फिर भी बात न बने तो उसके फरमाइषों को याद करें।
मेरी सलाहों पर अमल करके आप उसे भूल जाएंगे नही ंतो राम-नाम सत्य कर जाएंगे।

स्वदेष वापसी पर हाॅकी टीम का जोरदार स्वागत

स्वदेष वापसी पर हाॅकी टीम का जोरदार स्वागत- 25-25 हजार की प्रोत्साहन राषि देकर।

अमर सिंह के लिए नियम-कानून ताक पर- यानी कानून अपना काम कर रहा है।

सख्त है तिलक नगर मार्केट की सुरक्षा-व्यवस्था- सिर्फ एक-दो महीने के लिए।

दिल्ली को नहीं है विकास की दरकार- क्योंकि भगवान हैं इसके तारनहार।

माओवाद आतंकवाद से बड़ा दुष्मन- चिदंबरमः काफी रिसर्च के बाद यह बात मुझे मालूम हुई है।

अमेरिका ने बांधी मोदी की तारीफों के पुल- लेकिन वीजा देने के समय जाएगा भूल।

आज एजेंट बता रहे हैं, कल पांव छूते थे- क्योंकि पहले आप प्रतिद्वन्दी बनकर नहीं आते थे।

बाबा रामदेव ने दिया राखी के प्रपोजल का जवाब- कि षादी करके मुझे नहीं होना है बरबाद।

रेल मंत्री के अनुसार तमिलनाडु रेल हादसे की वजह मानवीय भूल- और भाई मानवीय भूल को तो रोका नहीं जा सकती है न।

अमर सिंह के बारे में सवाल करते हीं बिग बी के मुंह पर जड़ गया ताला- कौन था जड़नेवाला।

कामयाबी का कोई मंत्र नहीं - हां जोड़- तोड़ से संभावनाए जरूर बढ जाती है।


देष की षांति, एकता के लिए षनिवार से तीन दिन का उपवास करेंगे मोदी- अन्ना हजारे ने उपवास से पूरे देष को हिला दिया तो क्या मैं जांचकत्ताओं को भी नहीं हिला सकता।

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

आडवाणी की रथयात्रा पर भाजपा में मंथन

हमारी छवि एक नरम देष की बन गई है- इतने विस्फोंटों के आघात सहने के बाद भी क्या?

अब आर्किटेक्ट हीं पास कर देगा नक्षा- यानी बाबुओं का अब नहीं भरेगा बक्सा।


आडवाणी की रथयात्रा पर भाजपा में मंथन- कि अब सेकेंड जनरेषन लीडरषीप का क्या होगा।

भारत-पाक के खिलाड़ी आपस में खेलेंः आडवाणी- बाहर जाकर बदनामी करवाना ठीक नहीं है।

रोमांच के चरम पर मैच टाई- यानी बच गई जगहंसाई।

स्वामी ने करूणानीधि की आलोचना- तब तो उनकी साधना व्यर्थ है।

आपके खाने में नमक घटाएगी सरकार- मतलब सरकार एकदम तानाषाही पर उतर आई है।

थिंक पाॅजिटीव- जैसे कि ये बम विस्फोट हमारा क्या बिगाड़ लेंगे।

पब्लिक ले रही है बदमाषों से मोर्चा- पुलिस के जवानों ने है आराम करने को सोचा।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

चार्जषीट में नजर आएंगे देवानंद

चार्जषीट में नजर आएंगे देवानंद- क्यों कोई अपराध किया है क्या।

जूझने का जज्बा-भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने वालों में देखा जा सकता है।

जाॅन का नाम लेना पसंद नहीं बिपाषा को -क्यों नफरत हो गई है क्या ?

एयर इंडिया ने विमान खरीद में दिखाई हड़बडी- खरीदना बहुत जरूरी होगा भाई।

आम लोगों को नहीं मिली राहत- कब मिली थी ?

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

धमकी देकर किया धमाका

धमकी देकर किया धमाका- और सबको पता है कौन है इसका आका।

क्या हम अब भी सबक लेंगे- क्या पहले वाले विस्फोटों से लिए थे।

खुष हो जाइए, सस्ता हो सकता है खाना-पीना- दिल को बहलाने को गालीब ये खयाल अच्छा है।

टीम इंडिया लस्त-पस्त- और खेल रही है होकर मस्त।

इंग्लैड दौरे के लिए तैयार नहीं थी टीमः श्रीकांत- फिर किसने खेलने को भेंज दिया।

जो चाहे लड़ सकता है मेरे खिलाफ चुनाव- पर मेरी जमानत जब्त होने पर जमानत राषि देनी होगी जनाब।

थाली से गायब हो गई न्यूट्ीषिन डाइट- किसी ने चुरा लिया होगा।

बुधवार, 7 सितंबर 2011

टीचर्स डे पर काॅलेज में फायरींग

वो ट्क ड्ाइवर नहीं लुटेरा था- यह ज्ञान लुट जाने के बाद प्राप्त हुआ न।

क्या यह भगवान राम पसंद करेंगे- रावण तो करेगा न।

ना कहना भी सीखें- और षुरूआत करें पहले अपने कर्तव्यों से ना कह कर।

केंद्र और प्रदेष सरकार धोखेबाज- फिर किस पर करें हम बोलो नाज।

सवाल है इतने सम्मान का हम क्या करेंगे- व्यापार करेंगे।

टीचर्स डे पर काॅलेज में फायरींग- पर तोपों की सलामी बिना सम्मान अधूरा रह
गया न।

नेषनल हाईवे पर दस घंटे तक रेंगती रहीं गाडि़यां- रेंगने का मैराथन हो रहा होगा।

सोमवार, 5 सितंबर 2011

पुत्र का पत्र पिता के नाम

हेलो डैड
हाय
आज मुझे भी महान विभूतियों की तरह से जेल से आपको पत्र लिखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। आषा है आप मुझपर गौरवान्वित होंगे। पापा ये ऐतिहासक छड़ विरले को मिलता है। जैसा कि पं जवाहर लाल को मिला था। जब उन्होंने अपनी पुत्री को जेल से पत्र लिखा था। लेकिन पापा मैं भूल गया था कि आप पूराने जमाने के व्यक्ति हैं। आपको मेरे जेल जाने से सुख की जगह दुख भी हो सकता है। लेकिन पापा अगर आप अपने दिमाग पर जोर डालें ंतो आपको मालूम होगा जेल जाना षर्म की नहीं गर्व की बात है। क्या भगत सिंह जेल नहीं गये थे। क्या महात्मा गांधी जेल नहीं गये थे। क्या आज के गांधी अन्ना जेल नहीं गये थे। आपने अन्ना के कथन सुना होगा कि जेल तो वीरों का भूषण है। फिर क्यों रो धोकर मुझे आप खरदूड्ढण बनाने पर तुले हुए हैं। क्यों आप अपने बेटे के महत्व को कम करके आंक रहे हैं। क्या आप अपने बेटे से प्यार नहीं करते। आप कहेंगे कि वे सब महान उद्देष्य के लिए जेल गये थे न कि अपने संकीर्ण स्वार्थ के लिए। लेकिन पापा आज मैं हीं नहीं केवल भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद हूं। आज मेरे जैसे अनेक लोग हैं जो भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं लेकिन उनके परिवार के लोग आप जैसा पष्चाताप नहीं कर हैं। बल्कि जेल में उन्हें मलपूआ पहंुचा रहे हैं। लेकिन मैं इस दृष्किोण से अभाग हूं। मैं अपने पिता के आदर्ष की बली बेदी पर चढ़ चुका हूं।

मैने आपसे कहा था कि डैड वनडे मेक यू प्राऊड। बट इसके लिए आपको अपना एटीटृयूड बदलना होगा। 21वी सदी के अनुसार अपने को ढालना होगा। बात-बात पर संस्कार एवं कल्चर की दुहाई देनी बंद करनी होगी। थोड़ा अपने आपको को अपडेट करना होगा। मैं नहीं चाहता कि आपके चलते दोस्तों में मेरी नाक कट जाए। आपको मेरे दोस्त दकियानसू विचारों वाला समझें। पापा आखिर आप क्यों नहीं समझते हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। पाड्ढण युग में नहीं। इस युग में कल्चर का कोई महत्व नहीं।
आपको समय के साथ बदलना होगा। धोती कुर्ता की जगह सूटेड-बूटेड होना पड़ेगा। आपके समय में लोग धोती कुर्ता पहनते थे। इसका यह अर्थ नहीं कि आप आज भी पहने। क्योंकि हमारे पूर्वज तो नंगे रहते थे तो क्या हमें भी नंगा रहना चाहिए। डैडी मैं समझता हूं कि इसमें आपकी कोई गलती नहीं बल्कि दादाजी ने आपको गलत संस्कार हीं दिया था। वर्ना आप भी आज मार्डन होते। लेकिन आप कर हीं क्या सकते थे। उस जमाने में आप पिता की इच्छाओं का अनादर भी तो नहीं कर सकते थे । आज की तरह आपके समय में लोगों की स्वतंत्रता थोड़े थी। यहीं कारण है कि आप थोड़ा कुंठित हो गये हैं। इसलिए आपमें आत्म विष्वास थोड़ा कम है। पर घबड़ाने की बात नहीं मैं आपको पर्सनालटी डेवलपमेंट की कोर्स करावा दूंगा। सुना है कि आप अन्ना हजारे के आंदोलन से काफी उत्साहित हैं। लेकिन अन्ना हजारे के आंदोलन से आपको ज्यादा उत्साहित होने की आवष्यकता नहीं । क्योंकि क्या आप समझते हैं लोगों के बदले बिना भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा।
पापा आप तो अपना जीवन जी लिए हो लेकिन अपनी षर्तें थोपकर मेरे जीवन में जहर तो मत घोलो। अब आपको मेरे अनुसार जीना होगा।

पापा आपको मेरे झूठ बोलने पर आपत्ति है। लेकिन मैंने झूठ बोलना किससे सीखा। इसी समाज से सीखा। उन लोगों सेीखा जो आज समाज का नेतृत्व कर रहे हैं। पापा आप क्यों नहीं समझते कि आज महात्मा गांधी नहीं हैं लोग उनको भूला चुके हैं। लोग उनके आदर्षों का इस्तेमाल आज अपने निजी लाभ के लिए कर रहे हैं। कारण कि कहने को तो सभी लोग उनके आदर्षों पर चलते हैं लेकिन तब भी इस देष में भ्रष्टाचार खूब फलता-फूलता है। पापा क्या आज सत्यवादी देष में भूखा नहीं मर रहा है। क्या आप सत्यवादी बनाकर मुझे भूखा मारना चाहते हैं। आखिर आप क्यों नहीं समझते कि आज झूठ बिकता है। सत्य दर-दर की ठोकर खाता है। आषा है आप मेरी बात समझ गए होंगे। देर सबेर आप मेरे बिचार समझ हीं जाते हैं या आपको समझना पड़ता है। मां कहती है कि आप मुझे अपने जान सेे ज्यादा प्यार करते हैं। इसका आपको प्रमाण देना होगा । मैं ऐसे नहीं मानूंगा। इसके लिए आपको अपने आदर्षों को पूत्र मोह के भेंट चढ़ाना होगा। आपको मुझे जमाने के साथ तरक्की करने देना होगा। जैसा कि और लोग तरक्की कर रहे हैं।

अन्त में आपका बेटा- बड़बोलनगुरू।

ब्रिटेन में उपप्रधानमंत्री क्लेग पर फेंका गया पेंट

ब्रिटेन में उपप्रधानमंत्री क्लेग पर फेंका गया पेंट - इसे कहते हैं कि विरोध का उदारवादी तरीका। वर्ना इन दिनों जूतों का मौसम है।


सरकार भ्रष्टाचार नही मिटाना चाहती- बल्कि अन्ना की टीम को पटाना चाहती
है।


गददाफी पर साढ़े सात करोड़ का इनाम- यह तो फिजूलखर्ची है।

आतंकियों को नहीं करने देंगे अपनी जमीन का इस्तेमालःहिना रब्बानी- पिछले कई वड्र्ढों से हम यह प्रतिज्ञा दोहराते रहे हैं। हमारी गंभीरता का आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं।

धरती पर 87 लाख प्रजातियां- जिसमें से कुछ दुर्लभ भारत में खजाना उड़ा रही हैं।
भ्रष्टाचार का मुद्दा विधानसभा में गूंजा- कि लोकतंत्र का गला सरकार ने रामलीला मैदान में था घोंटा।

ओबामा के लिए बहुत कठिन डगर पनघट की - पर कहां से भरें वो डालर की मटकी।

क्राइम रिर्पोट देखें डर भगाएं।



मेरा आपको सुझाव है कि अगर आप कमजोर दिल इनसान हैं तो टीवी पर क्राइम रिपोर्ट न देखंे। वरना हार्ट अटैक होने पर जिम्मेदारी मेरी नहीं होगी। थोड़ा मजबूत दिल इनसान को चेस्ट पेन या सर दर्द तक की षिकायत रह सकती है। लेकिन कमजोर दिल इनसान का राम-नाम सत्य होना तय है। दिवाली के पटाखे से षायद आप बच जाएं लेकिन क्राइम रिर्पोट के बम से बचने की संभावना नही ंके बराबर है। हां जो हाॅरर फिल्मों के षौकिन हैं वे जरूर हाॅरर दृष्य का लुत्फ उठाएं। औरत एवं बच्चे ऐसे सीन के प्रति काफी संवेदनषील होते हैं। आइए जानते हैं उनके अनुभव के बारे में कि जब वे पहली बार टीवी पर क्राइम रिर्पोट देखे तो उनको कैसा लगा। आइए जानते हैं मेरी पत्नी के अनुभव। क्राइम रिपोर्ट देखकर रात भर वह जगी रह गई। उसका कहना था कि टीवी वाले भाई साहब जाते-जाते चेतावनी देकर गये थे कि चैन से सोना हो तो जाग जाइए। वह रातभर जागकर ताकती रह गयी कि जरूर कोई बड़ी बात होगी वरना भाई साहब ऐसा थोड़े कहते। वह मुझे समझा रही थी कि आज भी घोड़ा बेंचकर मत सोना जी आज कुछ हो सकता है। पड़ोस की एक बहन जी से जब मैं क्राइम रिर्पोट पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनका कहना था अजी मत पूछो टीवी वाले भाई जी इतने गुस्से में लग रहे थे मानो वो टीवी से निकलकर आंख खोद देगें। जब तीसरी बहन जी से पूछा तो उनका कहना था कि मेरे बच्चे तो उनके हाव-भाव को हीं देखकर चीखने चिल्लाने लगते हैं। उनसबों कहना था कि अंकल का चेहरा-मोहरा फिल्मों के खलनायक से मेल खाता है। वो मुझे बहुत डरावने लगते हैं।
चैथी बहनजी का क्राइम रिर्पोट के बारे में कहना था कि मुझे तो लगा कि वे मन का भड़ास निकाल रहे थे। हो सकता है कि पत्नी के साथ घर पर हुए संग्राम का यहां गर्जन- तर्जन के साथ जवाब दे रहे हों। सामने हिम्मत जो नहीं हुई होगी।
जब मै लोगों से यह जानना चाहा कि आप ऐसा प्रोग्राम क्यों देखते हैंैं। तो उनमें से अधिकांष का कहना था कि वे डरावनी फिल्मों के षौकिन हैं। कुछ लोगों का कहना था कि लड़ाई झगड़े का कांसेप्ट उनको सीरियलों से पूरा नहीं मिल रहा था। सो उन्हों ऐसी रिर्पोटों को तरजीह दी।
जब मैं कुछ पतियों से पूछा कि टीवी सीरियलों एवं क्राइम रिर्पोटों को देखने के बाद आपके पत्नियों में क्या परिवर्तन आया है। तो उन्होंने कहा अजी मत पूछो वे पहले से ज्यादा संग्राम प्रिय हो गई हैं। वे फिल्मी स्टाइल में हमें डराती धमकाती हैं।
जब मैं रोड़छाप एक्सपर्ट से इस विड्ढय पर उनकी राय जाननी चाही तो वे क्राइम रिर्पोट के कई फायदे गिनाए। जैसे अगर किसी को डरने की बीमारी है तो वह टीवी पर क्राइम रिर्पोट अवष्य देखें क्योंकि एक से एक भयानक दृष्य देखकर मन से डर निकल जाएगा।
जहां तक मेरे बाइट का सवाल है तो मुझे क्राइम रिर्पोट को देखकर लगा कि समाज से संवेदना अभी मरी नहीं है। क्राइम रिर्पोट बांचने वाले भाईजी काफी हमदर्द लग रहे थे। वे लोगों का इतना सावधान करा रहे थे कि अगर आप उसपर पूरा अमल करें तो घर से निकलना बंद कर देंगे। इसके अलावे मुझे लगा कि उनसे दूसरों का दुख दर्द देखा नहीं जाता। तभी दो क्राइम रिर्पोट को  लोगों के सामने ग्लेमराइज करके प्रस्तुत कर रहे थे।

शनिवार, 3 सितंबर 2011

ये है दिल्ली मेरी जान



मैं गीता की षपथ लेकर कहता हूं कि जो कहंूगा सच कहूंगा सच के सिवा कुछ भी नहीं कहूंगा। मैं भी राजनेताओं की तरह सत्यनिष्ठ हूं। और वे सत्य का जितना पालन करते हैं। मैं भी सत्य का उतना हीं पालन करता हूं। इसमें एक प्रतिषत भी संदेह की गुंजाईष नहीं है। जिसको हो सीबीआई जांच करवा ले या कमीषन बैठवा ले। मैं रोकूंगा नहीं। राजा हरिष्चन्द्र के बाद सत्य का पुजारी मैं हीं पैदा हुआ हूं। यकीन न हो तो फेसबुक या टृवीटर पर जाकर मेरी विष्वसनीयता जांच ले। उसके बाद भी अगर संदेह कायम हो तो आंदोलन की राह अपना लें। लोकतंत्र है मै किसी को रोकने वाला कौन होता हूं। मैं सरकार की तरह किसी को अनषन करने से नहीं रोक सकता हूं। यकीन मानीए रामदेवजी की कहानी भी आप पर नहीं दोहरायी जाएगी। इतनी भूमिका काफी है। अब मैं अपने विड्ढय पर आता हूं। हर बार की तरह मैं आपको नयी कहानी सुुनाऊंगा । आज बारी है दिल्ली की।। चूंकी मेरी रोजी-रोटी दिल्ली से हीं चलती है। इसलिए मैं दिल्ली का हीं गुण गाऊंगा। नमक हरामी नहीं करूंगा। यकीन मानीए जिसका मैं खाता हूं उसका गुण गाता हूं। कुछ लोगों को मेरे इस विषेड्ढ गुण पर गहरी आपत्ति है। उनका कहना है कि मैं जहां भी जाता हूं गाने बजाने लगता हूं। आपहीं बताइए आज के युग में कौन किसका गुण गाता है। तो गाना-बजाना मेरी बुराई हुई की विषेड्ढता। कुछ लोगों का कहना है कि मुझे अपना मुंह मिठठू बनने की आदत है। इसपर मेरा कहना है कि आप मेरी प्रषंसा करने का ठेका लें तो मैं अपना गुण नहीं गाऊंगा। अगर ठेका नहीं ले सकते तो कृपया मुझे सलाह न दें। आपसे मैं पूछता हूं कि आज के युग में आप किसी से प्रषंसा की आषा कर सकते हैं। जमाना सेल्फ प्रमोषन का है। अगर आप अपनी प्रषंसा खुद नहीं गाऐंगे तो प्रषंसा सुनने के लिए तरस जाएंगे। लेकिन लोगों को कौन समझाये। लेकिन आप लोगों की बातों में न आएं और गाने बजाने का गुण विकसित करें। आने वाले दिनों में इस गुण के चलते आपको भारी रकम मिलेगी। लोग पैसे देकर आपसे अपने गुणों का गुणगान करायेंगे। जैसा कि पहले के जमाने राजा-महाराजा करवाते थे।
एक बार फिर मैं विड्ढयांतर हो गया। हम बात कर रहे थे दिल्ली के बारे में अपने अनुभव की।
तो अगर आप आप पहली बार दिल्ली आ रहे हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि खांटी दिल्लीवालों की प्यार भरी बातें आपको गाली जैसी लग सकती है। जबकी हकीकत मैं वे आपसे प्यार कर रहे होते हैं। हालांकि ऐसा अनुभव आपको ज्ञान की नगरी वाराणसी में भी हो सकता है। जहां दोस्त अपने प्यार का इजहार गाली-गल्लौज से करते मिल जाएंगे। हालांकि मेरे जैसे इज्जतदार पुरूड्ढ के साथ ऐसा होने पर आपको बुरा लग सकता है। लेकिन आपके साथ ऐसा होने पर मुझे बुरा नहीं लगेगा। क्योंकि जब मेरे साथ ऐसा हो सकता है तो आप किस खेत की मूली ठहरे। दिल्ली के बारे में मेरा खास अनुभव है कि पार्क हो या मेट्रो सब जगह आप स्वचालित हो जाते हैं। अब मैं दिल्ली मैंट्ो की कथा सुनाता हूं जिस पर हम सबों को गर्व है। दिल्ली मेट्रो के बारे में मै बस इतना हीं कहूंगा कि बस आप लाइन में लग जाइए सब काम अपने आप हो जाएगा। अपने आप आप ट्रेन में पहुंच जाएंगे। अपने आप स्टेषन पर उतर जाएंगे। सबकुछ स्वचालित ढंग से। थोड़ी भी मेहनत नहीं लगेगी। हां आपमें पायलट बनने कि योग्यता होनी चाहिए यानी षत प्रतिषत स्वस्थ्य होना। कमजोर लोगों की गंुजाइष यहां नहीं है। अब बात करते हैं दिल्ली की बसों के बारे में । दिल्ली की बसों के बारे में मेरा कहना है कि दिल्ली की बसें आपको आपकी वीरता साबित करने की मौंका देती है। बसों में इनती भीड़ आपको मिलेगी की आपको आगे बढ़ने के लिए वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो गाना पड़ेगा। जहां तक सीट पाने का सवाल है तो मेरा आपको सुझाव है कि आप विधायक की सीट पाने का प्रयास करें। दिल्ली के बसों में सीट पाना इतना आसान नहीं। वैसे दिल्ली की बसों में यात्रा करके आप तंदरूस्त हीं होंगे। दिल्ली के बारे में मैं एक बात और कहूंगा कि जिसकी अपनी पत्नी के साथ अनबन हो वो आकर दिल्ली में रहना षुरू कर दे। अगर महाभारत की जगह रासलीला न होने लगे तो मूंछ मोड़वा दूंगा। कारण की आप बसों में यात्रा करके इतना थक गये होंगे कि पत्नी गाली क्या अगर ढोल भी बजायेगी आप नहीं जगने वाले हैं। हां जो कार की सवारी करेंगें उनके घर में पति पत्नी में झगड़ा होगा क्योंकि वे लोग स्वस्थ्य रहने के लिए कुछ तो श्रम करेंगे न।
दिल्ली के बारे में मेरा स्पेषल अनुभव यह भी है कि आपको आतंकवादी आक्रमण से ज्यादा डायबीटीज के आक्रमण का भय सताएगा। इसके अलावा आपको चिकनगुनिया का भय सतायेगा मलेरिया का भय सतायेगा। आप सोंच रहें हैं साफ- सुथरा जगह पर मलेरिया और चिकनगुनिया के वायरस क्या करेंगे तो उत्तर है कि वे थोड़ा सभ्य हो गये हैं और सभ्य लोगों को की तरह वो भी बड़ी एवं साफ-सुथरी बस्तियों में रहना पसंद करने लगे हैं। दूसरी बात जहां गांव में समय काटे कटता नहीं वहीं यहां पेट पूजा के लिए भी समय बचता नहीं है। अब बात करते हैं दिल्ली पुलिस की। गांव में जहां पुलिस अपराध के वक्त सोयी रहती है। वहीं दिल्ली में पुलिस जागकर भी खोयी रहती है। अपराध के बारे मेरा मानना है कि अपराधी या तो हिन्दी फिल्मों से अपराध के तरीके सीखते हैं या फिर फिल्मों वाले दिल्ली से अपराध के कांसेप्ट लेते हैं। इसके अलावा दिल्ली में मैने लोगों को पषुओं के दरबे में रहते देखा। प्रकृति की गोद में सड़कों पर सोते देखा।
वैसे दिल्ली के बारे में मेरी रिर्पोट गलत भी हो सकती है। क्योंकि मुझे दृष्टि दोष भी हो सकता है। वैसे भी इन दिनों मुझे पीलिया की षिकायत है। कुछ लोगों की नजर में सावन के अधें वाली कहावत मुझपर ठीक बैठती है। फैसला आपको करना है मैं कोई मनोवैज्ञानिक थोड़े हूं। मैं कोई इतना छोटा आदमी भी नहीं कि अपना आकलन स्वयं करूं। मुझपर रिसर्च तो कोई दूसरा हीं न करेगा ।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

भ्रष्टाचार मतलब हाई ब्लड प्रेषर

भ्रष्टाचार मतलब हाई ब्लड प्रेषर
कुछ लोगों की नजर में देष की सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है जबकि मेरी नजर में भ्रष्टाचार देष की सबसे बड़ी समस्या न होकर यह तो एक लक्षण है असली समस्या है हाई ब्लड़ प्रेषर है। दरअसल दृष्टिदोड्ढ के कारण कुछ लोगों को हर ओर भ्रष्टाचार हीं भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है। तुलसी बाबा कह गये हैं कि जाकि रही भावना जैसी हरी मूरत देखी वह तैसी। अगर ऐसी बात नहीं होती तो सरकार को भी भ्रष्टाचार दिखाई देता केवल अन्ना हजारे एवं अरविन्द केजरीवाल को हीं नहीं दिखाई देता। जो जिस वातावरण में रहता है। उसी प्रकार उसकी भावना होती है। इसका मतलब है कि हमारे सांसद पवित्र एवं सात्विक माहौल में रह रहे है। एवं अन्ना हजारे की टीम इसके विपरीत माहौल में । यह तार्किक निष्कड्र्ढ है किसी को बुरा मानने कि बात नहीं है। दूसरी बात कि मन षांत रहने पर सबकुछ ठीक-ठाक लगता है लेकिन ब्लड़ प्रेषर हाई रहने पर मन बेचैन रहता है और थोड़ी सी समस्या भी भयावह लगती है। अन्ना एण्ड कंपनी की यहीं समस्या है। मेरा तो षुरू से मानना अन्ना एण्ड कम्पनी का ब्लड़ प्रेषर सामान्य नहीं है। वर्ना भ्रष्टाचार जैसी छोटी समस्या पर वो इतना हो हल्ला नहीं करते। हाई ब्लड प्रेषर के चलते हीं देष में व्याप्त थोड़े से भ्रष्टाचार को वे लोग पहाड़ बनाए हुए हैं। दूसरी ओर सरकार का ब्लड प्रेषर नार्मल है। कारण कि अन्ना की टीम के इतना हो हल्ला करने के बावजूद सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंगती दिखी। धैर्य इसे कहते हंै। एक दिन नहीं दो दिन नहीं अन्नाजी को 12-13 अनषन करना पड़ा। अपने इसी गुण के ये लोग सरकार चला रहे हैं। एवं अन्नाजी अनषन कर रहे हैं। और हो-हल्ला करने वाले सरकार के बाहर हैं। योग गुरू बाबा रामदेव की टीम का भी ब्लड़ प्रेषर चेक करवाया जाना चाहिए। योग करने से क्या हो जाता है। उनके विरोधियों का तो यहां तक कहना है कि बाबाश्री मंच पर जो उछल कुद करते हैं वह इसी वजह से करते हैं। आष्चर्य देखीए कि योगा सीखाने वाले में अधैर्य आ गया और सीखने वाले में धैर्य। यानी गुरू गुड़ रह गया और चेला चीनी हो गया। योग सीखकर षिष्यों ने गुरू पर रामलीला मैदान में पूरे धैर्यपूवर्वक डंडे बरसाये। और गुरू को तंबू के नीचे छूपना पड़ा। योगा सीखाने से राजनीति थोड़े आ जाती है। दांव-पेंच थोड़े आ जाता है। दूसरी बात कि योगी को माया मोह में पड़ने कि क्या आवष्यकता है। माया में पड़ने पर तो कींचड़ तो लगेंगे हीं न। योगी का संबल धैर्य होता है। इतने छोट से मुद्दे पर रामलीला मैदान में इतना हो हल्ला करके बाबाश्री ने यह साबित कर दिया कि उनमें धैर्य बिल्कुल नहीं है।
मेरा मानना है कि लोकपाल या लोकायुक्त के नियुक्ति से देष से भष्टाचार दूर नहीं होने वाला बल्कि भ्रष्टाचार दूर करने के लिए हाई ब्लड प्रेषर का टीका विकसित किया जाना चाहिए। मेरा ट्ांसपरेंसी इन्टरनेषनल से कहना चाहूंगा कि वे सर्वाधिक भ्रष्ट और सबसे कम भ्रष्ट देषों की सूची जारी करके अपना समय जाया न करें बल्कि ये बताएं कि किस देष में सर्वाधिक हाई ब्लड़ के लोग हैं। क्योंकि हाई ब्लड़ प्रेषर के लोग हीं भ्रष्टाचार पर हो हल्ला मचाते हैं।

चीन हमसे कितना प्यार करता है



पड़ोसी हो तो चीन जैसा नही तो न हो। कारण कि चीन अपने परायेपन का भेद मिटा चुका है। और वसुधैव कुटुम्बकम् हीं उसका आदर्श वाक्य हो गया है। यहीं कारण है कि कभी वह अरूणाचल को अपना भाग कहता है तो कभी किसी और देश के भूभाग को। पर संकीर्ण राष्ट्रवाद के चलते लोग उसके हर कदम का गलत अर्थ निकाल लेते हैं। और उसे आक्रमणकारी आदि क्या-क्या समझ लेते हैं। आखिर विष्व में अनेक राष्ट्र की क्या आवष्यकता है। क्या सभी राष्ट्र या खासकर एषिया के राष्ट्र चीनी छतरी के नीचे नहीं आ सकते। और वह भी तब जब वह गा रहा हो मेरी छतरी के नीचे आ जा। क्या अनेक राष्ट्रों का सिद्वान्त विष्व बंधुत्व में बाधक नहीं है।


ऐसा नहीं कि चीन की नेक नीयति पर हर कोई षक करता हो। उसकी भावनाओं को समझने वाले मुझ जैसा लोग भी इस धरती पर हैंैं। और चीन की भावनाओं को समझने वाले लोगों के बल पर हीं देष में हिन्द-चीन भाई भाई का स्पिरिट समय-समय ऊफान मारता है। लेकिन इस स्पिरिट को कुछ भाईजी लोग समाप्त करने पर तुले हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद यह भाव मौजूद है। चीन पहले भी हिन्द-चीन भाई-भाई के विष्वास पर खरे उतरा था और भविष्य में भी खरा उतरेगा ऐसा मेरा विष्वास है। इसमें एक प्रतिषित भी संषय करने की गुंजाइष नहीं है।


लेकिन कुछ भाईजी लोग मेरे विष्वास का माखौल उड़ाने में भी पिछे नहीं रहते हैं। और मुझे कल्पना लोक में जीने वाले प्राणी आदि उपमाओं से विभूषित करते हैं। लेकिन उनका यह व्यवहार मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगता। कारण कि वो अपना क्या जो इस प्रकार का अपनापन न दिखाये। जब लोग मेरे विष्वास पर हसते हैं तो मुझे उनपर दया आती है कारण कि वे मेरे जैसा ज्ञानी थोड़े हैं।


भारत ने विष्वास के महत्व को षुरू से समझ लिया था। उसने यह जान लिया था विष्वास के द्वारा असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। सफलता के लिए आत्मविष्वास बहुत जरूरी है। विष्वास के द्वारा हृदय परिवर्तित किया जा सकता है। दूसरी तरफ हर किसी पर अविष्वास करना भी एक बिमारी है। खासकर चीन जैसे पड़ोसी पर। सबपर अविष्वास करना व्यवहारिकता के दृष्टिकोण से भी उचित नहीं कहा जा सकता। क्योंकि फिर लोक व्यवहार कैसे चलेगा।


अगर आपको लगता है कि चीन अरूणाचल में घुसर रहा है तो यह आपकी भूल है। मान लीजिए घुसर हीं रहा है तो अगर अपना अपनों पर हक नहीं दिखायेगा तो भला कौन दिखायेगा। दूसरी बात चीनी षासक अरूणाचल को चीन का हिस्सा इसलिए साबित करना चाहते हैं क्योंकि उनको ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी है यानी वह संपूर्ण पृथ्वी को हीं अपना परिवार मानने लगे हंै। और देषों को अभी ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई है। क्या भारत चीनी सैनिकों के अरूणाचल में दिखाये गये सद्भाव का विरोधकर संकीर्णता का परिचय नहीं दे रहा है। चीन इस तरह का सद्भाव कई देषों के साथ दिखाता है। या दिखाने की कोषिष करता है। लेकिन आष्चर्य है कि सभी देष उसके सद्भाव को बैर भाव की तरह लेते हैं। जहांतक ब्रम्हपुत्र नदी पर बांध बनाने का सवाल है तो सरकार को चीन के इस कदम का स्वागत करना चाहिए। क्योंकि सरकार क्या चाहती है कि लोग ब्रम्हपुत्र नदी की धारा में बह जाएं। आखिर जो काम सरकार को करना चाहिए। उसे चीन की सरकार ने मुफ्त कर दिया तो इसमें रंज होने की क्या जरूरत है। आखिर करोड़ो की फसल ब्रम्हपुत्र नदी की बाढ़ में बरबाद हो जाती है। चीन ने भारत के हित के लिए विष पी लिया है। और लोग हैं कि समझते हीं नहीं।


पुत्र पिता की संपत्ति को अपनापन के चलते हीं न अपना समझता है। चीन अगर भारत की संपत्ति को अपना समझ रहा है तो निष्चत तौर पर भारत के प्रति उसका अपनापन ज्यादा है। वरना ऐसे हीं किसी की संपत्ति कोई अपना थोड़े समझने लगता है। वह न्यूयार्क और मास्को को अपना थोड़े कहता है। आष्यकता है मेरे जैसे समझदार लोगों की जो चीन के इस भाव को समझ सके।


मेरा मानना है कि भारत को अपनी सुरक्षा जिम्मेदारी चीन को सौंप देना चाहिये। क्योंकि चीन जैसा आपको हितैषी पड़ोसी नहीं मिलेगा। अगर चीन हथियारों का जखीरा तैयार कर रहा है तो वह भारत की सुरक्षा जरूरतों को घ्यान में रखकर हीं ऐसा कर रहा है। वरना वह इतने बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर क्या करेगा। आखिर पड़ोसी-पड़ोसी के काम नहीं आयेगा तो कौन आयेगा। पहले अमेरिका अन्य देषों के सुरक्षा जरूरतों का ध्यान रखता था और पूरे विष्व के लिए हथियार बनाता था। अब चीन बनाना चाह रहा है।


वैसे तो मुझे चीन की नेक नीयति में कोई संदेह नहीं है। लेकिन जिसको संदेह है और चीनी आक्रमण का भय सता रहा हैै। वह हिन्द-चीन भाई-भाई मंत्र का जाप कर सकते है। कहते हैं मंत्रों में बड़ी ताकत है। भाव के साथ मंत्रों के जाप करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। फिर चीन की क्या विसात है।
मेरा तो कहना है हिन्द-चीन भाई-भाई स्तोत्र का पाठ देषवासियों के लिए अनिवार्य कर देना चाहिये। इसका कारण यह है कि मंत्र विज्ञान के अनुसार मंत्रों का सामुहिक पाठ से चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न होता है। अगर हिन्द-चीन भाई-भाई का सामुहिक पाठ किया जाय तो उसकी ध्वनियां चीन तक पहुंच जायेगी और चीनी के सत्ताधीषों के मति को षांत कर देगी।