वैसे तो सुना है कि अन्ना हजारे बहुत विद्वान हैं। गांधीवादी कार्यकर्ता हैं। सत्य और अहिंसा के पूजारी हैं। उन्होंने अपने सत्य अहिंसा के बल पर न जाने कितने भ्रष्ट अधिकारियों की छुट्टी करा दी है। लेकिन जब वह भ्रष्टाचार से मुक्ति को दूसरी आजादी कहते हैं तो मुझे उनके ज्ञानी होने पर संदेह होता है। आखिर यह छोटी से बात उन्हें क्यों नहीं समझ में आती है कि देश स्वतंत्र है। यहां सबको कुछ भी करने की स्वतंत्रता है। यहां जिसकी जो इच्छा है कर रहा है और कर सकता है। देश में स्वतंत्रता है यह बात हर भ्रष्टाचारी तक जानता है। कालाबाजारी तक जानता है। यहां किसी दूसरी आजादी की कोई आवश्यकता नहीं। जो जैसा है वैसे रहने देना हीं असली आजादी है। किसी का जीवन बदलना तो प्राईवेसी में हस्तक्षेप है। क्या गीता का यह स्लोक उन्हें याद नहीं की कर्म तो प्रकृति के अनुसार होते हैं। अज्ञानी अपने को कर्ता मानते हैं। इसलिए आज जो भी घर में हाथ पे हाथ रखे बैठे हैं वे ज्ञानी हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि भ्रष्टाचार समाप्त करना हमारा काम नहीं हैं। जो लोग सड़कों पर निकलकर भ्रष्टाचार का जाप कर रहे हैं वे अज्ञानी हैं। चलिए मान भी लिया जाए कि अभी दूसरी आजादी बाकी है। तो क्या एक साथ जनता को इतनी खुशियां दे दोगे तो वे क्या पचा पायेंगे। क्या मारे खुशी के उनको हार्ट अटैक नहीं हो जाएगा। भूखे पेट रहने वाले को आप मलपूआ खिलाएंगे तो हाजमा बिगड़ नहीं जाएगा? उदाहरण के लिए अगर आपको मच्छर हीं नहीं काटेंगे तो मच्छरदानी लगाने का क्या सुख। तीसरी बात यह है कि संुदर सपने देखने का क्या हश्र होता है। जनता अच्छी तरह जानती है। हर बार वह सुंदर स्वप्न देखती हैं और हर बार वे टूट जाते हैं। इसलिए जनता अब भुलावे में नहीं आने वाली जो जैसा है उसे स्वीकार कर लेती है।
उनको लगता है कि अच्छे ख्वाब तो नेता भी दिखाते हैं। पर वे पूरा कहां होते हैं। इसलिए उनको अच्छा ख्वाब मत दिखाओ जी वैसे भी मौसम गर्मी का है। हजम नहीं होगा। तो अपयश आपके हक में आएगा।
देश में लोकतंत्र है यहां हर कोई स्वतंत्र है। जैसा कि बाबा रामदेव काला धन के विरूद्ध अभियान चलाने के लिए स्वतंत्र हैं। योगशिविर चलाने के लिए स्वतंत्र हैं। अनशन करने के लिए स्वतंत्र हैं। वैसे हीं सरकार बाबा की शाही आगवानी कराने के लिए स्वतंत्र हैं। बाबा का हर हालात में पटाने के लिए स्वतंत्र है। नहीं मानने पर शाम-दाम- दंड भेद दिखाने के लिए स्वतंत्र हैं। पुलिस आधी रात को लाठी बरसाने के लिए स्वतंत्र है। रामलीला मैदान डंडे के जोर पर खाली कराने के लिए स्वतंत्र है।
बाबा महिला वेश में भागने के लिए स्वतंत्र हैं। पांच सितारा होटल में बातचीत करने के लिए स्वतंत्र हैं।गुपचुप समझौते करने के लिए स्वतंत्र है। भक्तों को अंधेरे में रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
प्रधानमंत्री बाबा के खिलाफ पुलिस कारवाई को दूर्भाग्यपूर्ण बताने को स्वतंत्र है। फिर अंितंम विकल्प ठहराने को स्वतंत्र हैं। सोनियां जी मौन रहने को स्वतंत्र हैं। तथाकथित प्रगतिशील लोग बाबा को संप्रदायिक बताने को स्वतंत्र हैं। दिग्गी दादा ओसामा को ओसामाजी बताने को स्वतंत्र हैं। रामदेवजी को बिजनेसमैन साबित करने को स्वतंत्र हैं। बेरोजगार दर-दर की ठोकर खाने को स्वतंत्र हैं। किसान आत्महत्या करने को स्वतंत्र हैं। चोर चोरी और सीनाजोरी करने को स्वतंत्र हैं।
इतना पर भी आपको दूसरी आजादी जरूरी लगती है तो हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है। मांफ कीजिए शुभकामनाओं के सिवा आपको मैं कुछ नहीं दे सकता। क्योंकी टीवी पर रामलीला मैदान की रावणलीला को देखकर मैं सदमें से अभी उबरा नहीं हूं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें