एक आषिक मिजाज पति की
एक पत्नी ने परीक्षा लेने को ठानी
एक कमसिन कन्या की रूप उसने बना ली
पहुंच गई पतिदेव के दफ्तर में नौकरी के बहाने
पतिदेव देख कमसीन कन्या को लार लगे टपकाने
अच्छेे पद का लालच उसे दिखाने
लट्टू देखकर पतिदेव को
वह लगी उनका उत्साह बढ़ाने
कभी लगी सकुचाने तो वह कभी लगाने षरमाने
कभी कभी वह अपना बत्तीसी लगी दिखाने
फिर षर्माती हुई बोली सर मुझे आप ं क्यों ऐसे देख रहें है
लगता है आप मुझमें कुछ निरेख रहें हैं
षायद आप मुझे अपने पैमाने पर परख रहे हैं
मेरा अंग निरख रहे हैं
मेरे हाथों पर अपना हाथ रख रहे हैं
षायद ऐसे हीं आप मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं
ज्ुाबान से नहीं आप मुझे आंखों से तौल रहे हैं
मुंह से नहीं आप आंखों से बोल रहे हैं
मेरी समझ में आप कहने सें डर हैं
वे बोले
कमसिन बाला तुने बवाल कर डाला
तुने है मेरे दिल बर है डांका डाला
मै तेरा इंटरव्यू तो तब न लूंगा
जब तेरा बोस रहूंगा
मैं एक बार फिर अपने आदत से लाचार हो रहा हूं
े तुम्हे देखकर अपनां होष खो रहा हूं
मदहोष हो रहा हूं
स्वप्न लोक में तेरा बाहों में सो रहा हूं
बदलें में तेरा भाई बापा का जूंता चप्पल ढो रहा हूं
और घर पर बीवी के सामने मुर्गा हो रहा हूं।
और फिर ऐसा नहीं करने की कसमें खा रहा हूं।
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