मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

आओ ज्ञान के दीप जलाएं



दीपावाली पर हर वड्र्ढ हम अपने घर की सफाई करते हैं। दीप जलाते है।  लक्ष्मी-गणेष की पूजा द्वारा धन की देवी लक्ष्मी की कामना करते है। पर क्या इससे हमारे जीवन से अधेंरा मिट जाता है? क्या हमारे घर में सुख- समृद्धि आ जाती है? नहीं न । तो इसका अर्थ है कि हमारी पूजा में कुछ कमी रह गई है। क्योंकि ऐसा नहीं कि जो हम साफ-सफाई पूजा -पाठ करते है उसका कोई महत्व नहीं है। इसका महत्व है लेकिन इस दौरान हमारा सारा ध्यान बाहरी साफ- सफाई पर केन्द्रित रहता है। अन्दर की सफाई को हम भूल जाते है। अन्दर का देवता कहीं उपेक्षित रह जाता है। उसकी पूजा को हम भूल जाते है। उसे हम नहीं पहचान पाते। उसकी सामथ्र्य को हम नहीं जान पाते। हम यह नहीं पता है कि बाहर के सारे देवता इसी अन्दर के देवता से हीं षक्ति पाते है। हम यह नहीं समझ पाते कि यहीं आत्मदेव उन मूत्र्तियों में प्रतिबिम्बित होता है।  जो हमारे पास है खजाना है उसको हम नहीं जानते है। और धन दौलत की खोज में हम दर-दर की ठोकर खाते है। नाना प्रकार उपाय करते हैं। लेकिन फिर भी खाली के खाली रहते है।  अभाव का भाव हमारे अन्दर घर कर जाता है। अभाव का भाव अभाव को जन्म देता है। आओ अपने संकल्प के बल को पहचाने। उसकी महिमा को जाने। संकल्प सर्व समर्थवान है। संकल्प ईष्वर का हीं रूप है। इसी संकल्प का बाहरी सुख-सुविधा दासी है। आओ इस बार की दीवाली में हम ज्ञान के दीप जला दें। यानी अपने आत्मदेव को पहचान लें। फिर हमारे जीवन के कष्ट अपने आप मिटने लगेगें। हममे सकरात्मकता अपने आप आ जाएगी। फिर हमें ग्लास आधा खाली नहीं आधा भरा हुआ दिखाई देगा। फिर हम निर्धन नहीं धनवान दिखाई देंगे। इस प्रकार जो समृद्धि आयेगी वह सबके हित में होगी।

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

पैरेंट्स बच्चों में संस्कार ऐसे लाएं

पैरेंट्स बच्चों में संस्कार ऐसे लाएं
रोज उनको डिस्को घुमाएं
मेहमानों के सामने उनका मजाक उड़ाएं
लोगों को हायर कर
उनकी परवरिष कराएं
मीया-बीवी खूब मौज उड़ाएं
लेट नाइट पार्टी से आएं
नषे में लड़खडाए
सिगरेट के धूएं का हवा छल्ला बनाए
ऐसे अपनी कला देखाएं
उन्हें कार्टून देखने के लिए भी उकसाइए
ऐसे उनमें रचनात्मकता लाएं
टीवी के सामने उन्हें घंटों बैठाएं
कभी- कभी आपस में चीखें चिल्लाएं
माइकल जैक्सन का धर में फोटो लागाए
सुबह-षाम अगरबŸिा दिखाएं
अपनी प्रषंसा खूब गाएं
पड़ोसियों को जलाएं
अपना डफली अलग बजाएं
कभी कभी बाॅक्सिंग में भी हाथ अजमाएं
मुंह-धूधून घर फोर कर आएं
फिल्मी सितारों को रोलमाॅड़ल बनाएं
सुबह षाम उनकी स्तुती गाएं

काॅमीक्स उनको ख्ूब पढाएं
महापुरूषो को आउटडेटेड बताएं
अंग्रेजी में हीं बतीयाएं
हिन्दी बोलने में षरमाएं
बच्चों को दुत्कारें
कुतों को पुचकारें
फिर क्रीम पावडर लगाकर
पार्क में घूमाएं
मेरे प्यारे अभिभावकों ये टिप्स अपनाएं
और बुढ़ापे में लात खाएं।

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

कश्मीर भारत का अंग है और रहेगा : अन्ना

कश्मीर भारत का अंग है और रहेगा : अन्ना - आश्चर्य है प्रशांत भूषण इतने बड़े वकील होकर नहीं जानते 

आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं आडवाणी-  साभार दिग्विजय सिंह डाट काम
कालेधन पर श्वेत पत्र जारी करे केंद्र सरकार: आडवाणी- जैसा हमने अपने शासन काल में जारी किया था 

चिंतन बैठक में अन्ना ने भूषण से किया किनारा - दोस्त- दोस्त न रहा प्यार- प्यार ना रहा 
बरसेंगी नौकरियां - आसमान से 
लड़कियां प्यार करना छोड़ दें - तो लड़के पागलखाने या शराबखानें मिलेंगे 



शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

अपुन अमेरिका को महाशक्ति नहीं मानेगा

दिल्ली बम बिस्फोट के बाद काफी हो-हल्ला किया गया। मानो और विस्फोटों को सहने की हमारी क्षमता जवाब दे गयी हो। मानो राष्ट् पर बहुत बड़ा संकट आ गया हो। ऐसी हीं बाते विदेषियों में हमारी छवि को खराब करती है। जबकि ऐसे समय में संदेष यह दिया जाना चाहिए था कि इससे बड़े विस्फोटों को सहने में हम समर्थ। इससे बड़े विस्फोटों को सहने को हम तैयार हैं। विस्फोट के बाद यह टीवी पर बहस का मुख्य मुददा हो गया। चाय-पान की दुकानों पर बहस का मुख्य विड्ढय था। कुछ लोगों की नजर में एक साजिष के तहत इसे बहस का मुद्दा बनाया गया। नही तो यह बहस का मुददा था हीं नहीं जी। बम विस्फोट तो दुनिया भर में होता है। पचास-सौ लोग तो रोज ऐसे विस्फोट में मरते हैं। इससे इतना आतंकित होनेवाली क्या बात है? बम बिस्फोट को बहस मुददा बनाया जा रहा है उनलोगों द्वारा जिनके दिन की शुरूआत हीं बुद्वि बिलास द्वारा होती है। कहा यह जा रहा कि अन्ना के आंदोलन के समय से इस वर्ग की कुम्भकरणी निद्रा टूट चुकी है। स्वतंत्रता के बाद इस वर्ग ने लंबी छुट्टी ले ली थी। यह वर्ग रोटी कपडा मकान की चिंता से मुक्त है। इसलिए खाली मन में ऐसे विचार तो चलेगा हीं न। यह वही वर्ग है जो टीवी पर जमकर बहस करता है। अखबारों में लेख लिखता है। सेमिनारों में जमकर भड़ास निकालता है। और चुनावों में सबसे कम मतदान करके लोकतंत्र में अपनी गहरी आस्था भी व्यक्त करता है। इस वर्ग के लिए चुनावों में सक्रिय भाग लेना संकट मोल लेने जैसा है। वैसे अगर इन्हें नेता बनने का मौका दिया जाए तो इन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा। यह वर्ग अपनी निजता का ध्यान तो रखता हीं है दूसरे की निजता का भी ख्याल रखता है। यानी पड़ोसी के भूखा सोने या भूखा मरने पर उसकी कोई खोज खबर नहीं लेता। क्योंकि उसकी मदद कर देने से उसकी प्राइवेसी समाप्त हो जाएगी। वैसे हमारे राजनेताओं का परफॉरमेंस एकदम बेजोड़ रहा है। वह लोगों की आकंक्षाओं पर शतप्रतिशत खरे उतरे हैं। यहीं कारण है कि हमारे समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो यह मानने लगा है कि कोई नृप होय हमें का हानी। और लोकतंत्र के इस महापर्व के प्रति उनके मन में उदासीनता झलकने लगी है। पुलिस का कड़ा कदम नहीं उठाने के पीछे अपना हीं तर्क है। उसका कहना है कि नेता जब कठोर कदम उठाने से हिचक रहे हैं तो हम सबसे तेज बनके क्या करेंगे। आखिर हमारी लगाम तो उन्हीं के हाथों में रहती है। लोगों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम नहीं उठाने के चलते हमारी छवि एक नरम राष्ट की बन गई है। ऐसा तर्क उन्हीं लोगों द्वारा दिया जा रहा है जो क्षमा के महत्व को नहीं जानते। मारने वाले से बचाने वाला महान होता है इसलिए हम अफजल गुरू को बचा रहे हैं।। क्षमा करके हम बड़प्पन का परिचय दे रहे हैं। करोड़ो की राषि उसपर खर्च करके हम अपने देष की अतिथिदेवो के परंपरा को मजबूत कर रहे हैं। हमारी संस्कृति में कष्ट सहने को तप कहा गया है। हमें नरम बताने वाले यह नहीं जानते कि कठोर कदम नही उठाने का मुख्य कारण यह है कि हम तप कर रहे हैं। इतने विस्फोंटों के आघात सहने के बाद भी क्या लोगों का संदेह है कि हम कमजोर हैं। हमारे तप यानी विस्फोटों के आघात सहने के कारण हमारी प्रषंसा होनी चाहिए। कष्टों का चुपचाप सहन करना तो हमें मजबूत साबित करता है। प्रतिउत्तर तो कमजोर देता है।। जैसा कि अमेरिका ने दिया था। अमेरिका को भले कोई महाषक्ति मानता हो लेकिन अपुन की नजर में वह एक कमजोर राष्ट् है। पेंटागन पर आक्रमण के बाद तो वह इतना डर गया कि उसे हर जगह ओसामा हीं ओसामा नजर आने लगा। और अन्ततः ओसामा को ठिकाने लगाकर हीं माना। पाकिस्तान को दो टूक सुना दिया कि दुष्मनी एवं दोस्ती में से कोई एक चुन लो। सड़क छाप व्यक्ति को भी आप तमाचा मारियेगा तो बदले में तमाचा मारेगा। जबकि बड़ा व्यक्ति अपना दूसरा गाल आगे बढ़ा देगा। अमेरिकी सुरक्षा एजेन्सियां हमारे मंत्रियो तक के कपड़े उतरवा लेती हैं। क्या यहीं उनका षिष्टाचार है। वे किस बात के सभ्य हैं। अरे सभ्य तो हम हैं जो संसद पर आक्रमण करने वाले तक को भी माफ कर देते हैं। मानवतादवाद के क्षेत्र में भी हमारा कोई षानी नहीं है। हमें क्या कोई मानवाअधिकार का पाठ पढ़ाएगा। सामान्यजन क्या हम आतंकवादियों के मानवाअधिकार भी रक्षा करते हें। देखना हो तो विभिन्न घोटाले के आरोप में जेल जाने वाले कैदियों का देख लो। कैसे वे जेलों में वे सारी सुख-सुविधाओं का भोग कर रहे हैं। गांधी के इस देष में कुछ लोग हिंसा को बढ़ावा देना चाहते हैं। यहीं कारण है कि वे आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की मांग करते है। जिसका हमें हर हाल में विरोध करना चाहिए। हमें बताना होगा कि हम अहिंसा छोड़ने वाले नही हैं। हम उनके हृदय परिवर्तन तक इंतजार करेंगे। गांधी भले अंतिम विकल्प के रूप में हिंसा की अनुमती देते हों लेकिन हम नहीं देने वाले हैं जी।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

सरकार के झुकने का मतलब उसकी कमजोरी नहीं

सरकार की मंषा पर षक मत कीजिए-सिर्फ अन्ना की गिरफतारी और रामदेवजी पर पुलिसिया कारवाई को याद कीजिए/ क्योंकि हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते।

प्रधानमंत्री अन्ना टीम के साथ नरमी से पेष आ रहे थेः - वरना गिरफतारी की जगह लाठी डंडा भी बरस सकता था।
सरकार के झुकने का मतलब उसकी कमजोरी नहीं/ संदेह हो तो रामलीला मैदान वाले दृष्य को याद कर लो / बल्कि रामदेवजी के साथ वार्ता की तरह एक रणनीति है।

गेम्स विलेज के ट्रैक पर दौड़ेगी दिल्ली- मतलब टेक्नोलजी बहुत डेवलप हो चुकी है।

एसएसपी ने एसओ को फोन पर कह दिया चुडि़यां पहन लो- बदमाष कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।

किसानों के अल्टीमेटम के बावजूद बिल्डरों की साइटों पर हुआ कंस्ट्क्षन- जय जवान जय किसान।

बदमाषों के सामने तमाषबीनों को नहीं हुई आगे जाने की हिम्मत- मैं अन्ना हूं।

विधानसभा में गालीगलौज, हंगामा -लोकतंत्र की गरिमा के लिए जरूरी था।

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

चुनावी सीजन में विशेष ऑफर

अगर आपके पास टीवी नहीं है और आप टीवी खरीदने का इरादा रखते हैं तो फिलहाल आप अपना इरादा टाल दीजिए। कारण कि हो सकता है कि टीवी आपको मुफ्त मिल जाए। जी हां उत्तर प्रदेष चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दल बम्पर सेल लेकर आ रहे हैं । जहां आपको किसी भी उत्पाद पर षत प्रतिषत तक की छूट मिल सकती है। यानी टीवी, फ्रीज, लैपटॉप आदि बिल्कुल फ्री। तमिलनाडु में बम्पर सेल के मिले लाभ को देखते हुए। राजनीतिक दल विषेड्ढ उत्साहित हैं। पांच साल से जमे स्टॉक को इस चुनाव में निकाल देना चाहते है। विभिन्न कम्पनियां यानी विभिन्न दल इस चुनाव में लाभ कमाने के लिए किसी स्तर पर जाने को तैयार हैं। इससे लाभ मतदाता को मिलना तय है। लेकिन लाभ किस स्तर तक मिलेगा अभी यह कहना जल्दीबाजी होगी। हो सकता है यह लालीपॉप तक ही रहें। लेकिन आप अभी से आसमान की ओर मुंह बाये खड़े रहें कभी भी कुछ भी टपक सकता है। चाहे जो भी हो सेल के निर्धारण में विभिन्न दल अभी से हीं लग गये हैं। विभिन्न दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिल सकती है। दूसरे दलों को मात देने के लिए एक से बढ़कर एक ऑफर दिए जाने की संभावना है। छूट देने में दूसरे दल से पीछे हो जाने के भय से राजनीति दलों के बीच कड़ी प्रतिस्र्पधा है। विष्लेड्ढकों के राय में इस बार काफी कड़ा मुकाबला होगा। बाजार विषेड्ढज्ञों ने तमिलनाडु के अनुभवों को देखते हुए दषहरा एवं दीपावली में लोगों को संभलकर खरीदारी करने को कहा है। एक प्रमुख पार्टी के सीनियर नेता से जब हमने जानना चाहा कि आने वाले चुनाव में आपकी पार्टी की क्या मुख्य रणनीति होगी तो उन्होंने कहा कि थोक के भाव में सपने बेचना । उसके लिए विषेड्ढ पैकेजिंग की जाएगी यानी सपनों के महत्व को बताती आर्कड्ढक पंच लाइनें। इसके लिए हम मार्केटिंग के पूरे सिद्वान्त को अपनाया जाएगा। लोगों के लिए सपने का सबसे बड़ा महत्व है। और मेरी पार्टी इसे खुब समझती है। उनका तर्क था कि जनता परिश्रम तो खुब करती है। लेकिन छोटे सपने के चलते पिछुड़ जाती है। इसके विपरीत नेता एवं अधिकारी कम काम करते हैं लेकिन बड़े सपने देखते हैं। यहीं कारण है उनके तो कोठी और बंगले खड़े हो जाते हैं। उनका कहना है उत्तर प्रदेष चुनाव में मेरी पार्टी का स्लोगन होगा बड़ा बनने के लिए बड़े सपने देखो। और उसे पूरा करने के लिए घर द्वार तक बेंचो। जब मैने एक दूसरे दल के बड़े नेता से सपनों के बारे पूछा तो उनका कहना था कि देखिए जिस प्रकार कोई दल आज आरक्षण के जाप को नहीं छोड़ सकता उसी प्रकार राजनीतिक दल सपने बेंचना भी नहीं छोड़ सकते। चुनावी घोड्ढणा पत्र में हम तारे तोड़कर लाने का वादा करत हैं और जनता उसपर विष्वास कर लेती है। यानी जनता भी कहीं न कहीं सपने के महत्व को जानती है। उनका कहना था कि आगामी उत्तर प्रदेष चुनाव में जो पार्टी सपना बेचने में जितना सफल होगी। उसकी सफलता की दर भी उतना हीं अधिक होगी। इसलिए हमलोग आक्रामक मार्केटिंग के लिए प्रफेषनलों की भी मदद ले रहे हैं। जब मैंने तीसरे दल के बड़े नेता से पूछा कि क्या आपभी सपने बेंचने में यकीन रखते हैं । तो उन्होंने मुझसे हीं प्रष्न कर डाला क्यों आपको कोई आपत्ति है क्या। क्या आप चाहते हैं कि जनता को सपने देखने को भी न मिले। निष्कड्र्ढ यह है कि आगामी यूपी चुनाव में सभी पार्टियां लोगों को बड़ा सपने दिखाएगी और अपना बेड़ा पार लगाएगी।

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

रामदेव के गले में पत्थर बांध कर डुबा दो

रामदेव के गले में पत्थर बांध कर डुबा दोः दिग्विजय- मतलब रामदेवजी सही कहते थे कि सरकार मुझे रामलीला मैदान में मारना चाहती थी। रेसिंग हमारे देष का दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल बन जायेगा- अगर पैरेंटस अपने लाड़लों को स्पीड़ बाइक से उड़ने की इजाजत देते रहे। मध्यावधि चुनाव के लिए रहें तैयार: आडवाणी- हां मैं और इंतजार नहीं कर सकता। रावण अंकल की जगह अब रावण भैया- क्योंकि रावण सबके अंदर अभी जवान है। ससुराल नहीं जाऊंगा जेल चला जाऊंगा- क्योंकि बीवी से आंख नहीं मिला पाता हूं। हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए- चाहे किसी का घर हीं क्यों न जल जाए। खिलाडि़यों को चाहिए पैसा, इज्जत और ऑफिसरों से सुरक्षा- हां ऑफिसर अक्सर उनपर फिक्सिंग का आरोप लगाकर तंग करते हैं। यहीं है अपना स्वर्णीम हिंदुस्तान - जहां घोटालेबाज हैं महान। मैट्कि फेल हैं पांडिचेरी के षिक्षामंत्री- इटस हैपेन ओनली इन इंडिया। घूस ना दें उद्योगपति: ममता - हां आमजनों की बात कुछ और है। अब सोनिया के दामाद का राज खोलूंगाः स्वामी- क्यों माया-मोह में पड़ रहे हो! बीस साल बाद ममता गईं सिनेमा घर- उद्घाटन करने। दूसरे दौर में पहुंचे मनोज कुमार- मतलब की पहले दौर में समय पर नहीं पहुंचे थे। दोस्ती बढ़ायेगी भाजपा- ताकि दोस्त से ज्यादा दुश्मन न हो जाएं।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

स्वर्णीम युग लौट रहा है

जबसे मैं स्पेषल एयरक्राफट में सैंडिल की हवाई यात्रा की बात सूना हूं। मानो मेरे उम्मीदों को पंख लग गए हैं। मन सुनहरे ख्वाब बुनने लगा है। अब मुझे भी लगने लगा हे कि मेरे भी ख्वाब एक दिन पूरे होगें। कुछ लोगों को सैंडि़ल के हवाई यात्रा पर आपत्ती हो सकती है। लेकिन मुझे नहीं। क्योंकि मुझमें इसमें संभावना दिख रही है। लाखों के ख्वाबों को पूरा होने के। इसके सकारात्मक पक्ष को देखने वाले इस तरह सोंचते हैं। स्पेशल एयर का्रफ्ट में सैंडिल के सफर का अर्थ है कि देष में इतनी खुषहाली आ गई है कि जड़ जगत तक को हवाई यात्रा का मौका मिल रहा है। यानी देष सचमुच तरक्की कर रहा है। इंडिया सायनिंग कर रहा है। गरीब- अमीर की खाई मिट चुकी है। भारत पुरी तरह इंडिया में बदल चुका है। गरीबों की बस्तियां आबाद हो चुकी है। बस कुछ लोग षौकिया भूखे पेट सो रहे हैं। खुली आसमान में सड़कों पर सोकर डायटींग कर रहे है । जब मैं आकाष में उड़ते हवाई जहाज को देखता हूं तो सोंचता हूं कब होंगे ख्वाब मेरे पूरे। फिर दिल के किसी कोने से आवाज आती है कि तू ट्रेन के स्पेषल क्लास में तो यात्रा कर नहीं सकता। फिर हवाई जहाज में उड़ने का ख्वाब देखना क्या ठीक होगा। हवाई जहाज में यात्रा करने वाली सैंडिल ने भी मुझे चेताया औकात में रहकर ख्वाब देखो। बीवी की पूरी डिमांड तो तुम पूरी कर नहीं सकते और चले हो। हवाई जहाज पर उड़ने का ख्वाब देखने। सच बताऊ मेरी स्पेषल क्या जनरल में भी हवाई यात्रा करने की औकात नहीं। ट्रेन की द्वितीय श्रेणी में मजबूरन में यात्रा करता हूं। अगर तृतीय क्लास होता वहीं सीट पाने का मेरा प्रयास होता। सैंडिल की स्पेषल जहाज में यात्रा के बाद सैंडिल और जूते में जुबानी जंग भी षुरू हो गई है। जूते कह रहे हैं अभी उनका वर्चस्व बना हुआ। वहीं सैंडिल कह रही है कि ख्वाब देखना छोड़ो मैं स्पेषल विमान में यात्रा करके आई हूं। मैं हवाई जहाज में आ जा रही हूं। मुझे बुलाने स्पेषल विमान में भेंजा जा रहा है। भाई मैं तो भाग्यवाद में विष्वास करने वाला ठहरा। मेरी सैंडि़ल के भाग्य पर जलन नहीं हुआ बल्कि मैं अपने भाग्य का कोस रहा हूं। और अपने भाग्योदय के लिए पूजा-पाठ कर रहा हूं। मैं स्पेषल एयर का्रफ्ट में सैंडिल की यात्रा को देष में स्वर्ण युग के लौटने के रूप में भी देख रहा हूं। यानी एक बार फिर देष सोने की चिडि़या कहलाएगा। और एक बार फिर राजाओं महाराजाओं का युग आयेगा। और वे अपने प्रजाओं पर उसी प्रकार स्नेह बरसायेंगे। जैसे कि वे पहले जमाने बरसाते थे। वैसे सैडिल को हवाई यात्रा का सुख देने वाला पर्याप्त दयालु होगा। जड़-जगत के प्रति उसका प्रेम देखते हीं बनता है। मुझे विष्वास है कि एक दिन मुझपर भी उसको दया आएगी। एक दिन मुझपर भी उसका स्नेह बरसेगा। उत्तर प्र्रदेष चुनाव के दौरान मैं विषेड्ढ रूप से आषान्वित हूं।

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

पाकिस्तानी नेताओं ने सेना को पूरा समर्थन दिया

निलंबित एडीजी जैन बोले, मैं फरार नहीं- बल्कि तीर्थयात्रा पर हूं।

पाकिस्तानी नेताओं ने सेना को पूरा समर्थन दिया- और बदले में समर्थन की आषा रख रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सीएम की गड़करी ने की तारिफ- पावर बैंलेंस के लिए यह जरूरी था।

याददाष्त कमजोर और गिनती भूल गया हूं: चिदंबरम- हां ऐसे समय ऐसा होता है।

हमारे सांसद बहुत सुस्त हैं: अरूणा राय- जब सुस्त होने पर इतना इतिहास रच रहे हैं तो तेज होने पर न जाने क्या कर देंगे।

गुजरात के मुख्यमंत्री को विनय कटियार ने दे डाली वहीं रह कर काम करने की सलाह- क्योंकि यहां आने पर षीतयुद्व प्रत्यक्ष में बदल सकता है।

कार्यकारणी में नेताओं ने बताई अपनी-अपनी पसंद- कि भाजपा कि सरकार बनने पर उन्हें कौन- कौन सा पद चाहिए।

तिहाड़ जेल में सहयोगियों से मिलने जा रहे हैं पाटियों के वरिष्ठ नेता- सच है जेल जाने की भी अपनी एक गरीमा है।
आडवाणी के रथ में नीतिष का घोड़ा- जो कभी भी बन सकता है भगोड़ा।
कटरीना करेंगी एमसीडी में टीचर की नौकरी- फिल्मों में काम नहीं मिल रहा होगा।