मंगलवार, 31 मई 2011

हास्य कविता

वादों की जो झड़ी लगाए वो माननीय है।
आश्वासन पर जो आश्वासन पिलाए वो माननीय है
जो नोटों का सूटकेश घर लाए वो माननीय हैं
वादा जो कभी न निभाए वो माननीय है
बिना वजह जो हरदम मुस्कुराए वो माननीय है
बात-बात में जो घडि़याले आंसू बहाए वो मानाीय है
ठेकेदारों से जो कमीशन खाए वो माननीय है
घोटाले का जो कारनामा दिखाए वो माननीय है
चुनाव जितने पर जो क्षेत्र में न आए वो माननीय है।
एसपी कलेक्टर को जो तबादले का भय दिखाये वो माननीय है।
दूसरों के बीवी का जो विदेश घूंमाये वो माननीय है।
जिसके आगे पीछे पीछे चमचे चक्कर लगाएं वो माननीय है।
संसद में जो जूते चप्पल चलाए वो माननीय है

शुक्रवार, 27 मई 2011

कान में ऐष्वर्या की अनुपस्थिति-

दिल्ली को चाहिए पानी तो हरियाणा ने मांगी मेट्रो-दे मेट्रो हम पानी ढो लेंगे।

एयरपोर्ट उड़ाओ- मतलब की अब तकनीकि बहुत डेवलप हो चुकी है अब जहाज उड़ाने की आवष्यकता नहीं रही एयरपोर्ट हीं गंतब्य तक पहुंच जाएगा।
कान में ऐष्वर्या की अनुपस्थिति- हां भाई इतनी बड़ी हैं कि उनकी कान में कैसे उपस्थिति हो सकती है।
राजीव गांधी की हत्या में द्रमुक का हाथ- अब समझ में आ रहा है आप देंगी कांग्रेस का साथ।
म्यूजियम में मिलते हैं आदर्ष पुरूष- और हकीकत में ढूंढ़ते रह जाओगे आप।
मध्यप्रदेष में तापमान में वृद्वि की संभावना- फैषनषो चल रहा है क्या?

करीबी का मतलब यह नहीं कि षादी कर लूं- इस तरह षादी करने लगी तो लाईन लग जाएगी।
हाॅलीवुड सेलिब्रिटी में सबसे महंगा तलाक- तलाक के लिए फंक्सन हुआ था क्या?

मैं रणदीप के करीब हूंःनीतू चंदा- तो डरने की क्या बात है।

वीना-अष्मित ने लांघी थी सीमाएं- तो क्या वे पाकिस्तान चले गए थे।

जरा नजरों से कह दो जी -कहीं कोई थूंक न जाए

जनता के साथ हुआ है छल

जनता के साथ हुआ है छल
लगा नहीं एक पल
पेट्रोल का दाम बढ़ गया है भाई
आरही है मुझे रोआई
लग रहा है दहेज में मिला मोटरसाईकिल
अब भूसा हीं खाई
ममता तो जनता की ममता की लाज भी नहीं रख पाई
क्या पता था सत्ता मिलते हीं उनके सांप संूघ जाई
क्यों सरकार की उसने की नहीं खिंचाई
इस बार उसने क्यों आंख नहीं दिखाई
क्या यहीं है राजमद
क्या यहीं होता मिलने पर पद
अगर यहीं हाल रहा तो
दावा -दारू पर भी एक दिन टेक्स लग जाई
दवा के बिना जान हीं न जाई
वैसे जान रहके भी क्या हम पाईब
मुफ्त क माल उड़ाइब
बीबी के हांथ पिटाइ्र्रब
और पीके ठर्रा में नाली में गिर जाईब
फिर के घर पे आके मराईब
और सारी रात चिल्लाईब

गुरुवार, 26 मई 2011

जो अपने आका का परिक्रमा लगाएगा

राजनीति में
जो अपने आका का परिक्रमा लगाएगा
कभी नही तो कभी पूजा जाएगा
और जो अकडन दिखलाएगा
अवसर को गंवाएगा
फिर पीछे पछताएगा
हांथ मलता रह जाएगा
बाप-बाप चिलाएगा
बीबी से बेलन खाएगा
उसे सारी रात मनाएगा
पर पास फटकने न पाएगा
मेवा मिश्री खाने सं
वंचित हीं रह जाएगा
भईया राजनीति में थोड़ी सी जीहजूरी
फिर होगी मन की मुराद पुरी
तना पेड़ आंधी में जड़ से उखड़ जाता है
झुका हुआ बचकर निकल जाता है
सिद्वान्तों पर जो अकंड जाता है
उसका जनाजा निकल जाता है
सत्तासुख भोग नहीं पाता है।
दरदरकी ठोकर खाता है
जिलाबदर हो जाता है
जो पार्टी हाईकमान के चरणों में लोट जाता है
खुद का माईबाप बताता है
आगे-पीछे दूम हिलाता है
त्वमेव माता चपिता त्वमेव गाता है
वह अपना जीवन ऐष में बिताता है।
हर जगह कैष हीं पाता है

मंगलवार, 24 मई 2011

दूल्हा बाजार

दूल्हा बाजार
मान्यवर मुझे दूल्हे बाजार से
एक दामाद चाहिए
जो अक्ल का अंधा हो
झकमारना जिसका धंधा हो
दांत निपोरनेवाला बंदा हो
जाति पर कोई जोर नहीं
गंजेड़ी- भंगेड़ी से बैर नहीं
पर थोड़ा दिलवाला हो
दुम हिलाने वाला हो
उसे किसी बात का गुरेज न हो
खाना पकाने से परहेज न हो
उसे किसी बात का गुमान न हो
थोड़ा सा स्वाभिमान न हो
अब लड़की के बारे में बताते हैं
हम अपनी बात पर आते हैं
लड़की की राषि कुंभ है
उसे अपने आप पर दंभ है
वह घर में बैठकर पति को खिलाएगी
यानी एक जाहिल को जिलाएगी
जिसको जीवन में आराम चाहिए
बिना कुछ किए पकवान चाहिए
उसको तो यह धाम चाहिए
लड़की काम करने में अक्षम है
पर मुंह चलाने में सक्षम है
वह बात-बात में पति को झिड़केगी
सिर्फ जान नहीं और सब पति पर छिड़केगी
लड़की चलने में थोड़ी झुकती है
बोलने में रूकती है
उसे पुरूष जाति पर ऐतवार नहीं
उसके सर पर बाल नहीं
वह काफी मोटी-तगड़ी है
पर एक पैर से लंगड़ी है
उसे एक छत्र राज चाहिए
महल नहीं ताज चाहिए
सासू मां को वनवास चाहिए

नेताओं को माल जबतक मिलता रहेगा

देष तबतक चलता रहेगा
नेताओं को माल जबतक मिलता रहेगा
हिंसा का तांडव जबतक होता रहेगा
भ्रष्टाचार जबतक करवट बदलता रहेगा
किसान जब तक मरता रहेगा
मजदूर का जबतक पिसान निकलता रहेगा
दलाल जबतक फलता रहेगा
बहु-बेटियों पर किंचड़ उछलता रहेगा
लफुआ लफुआगिरी करता रहेगा
बेमतलब का पंगा होता रहेगा
देष के किसी कोने में दंगा होता रहेगा
पड़ोसी-पड़ोसी से जलता रहेगा
भाई-भाई से बैर करता रहेगा
आम आदमी सत्य कहने से डरता रहेगा
सत्य का सूरज जबतक ढलता रहेगा
और देष द्रोही जबतक देष में पलता रहेगा
घर में बीबी का हूकूमत चलता रहेगा
पति पत्नी का हर पल जीहजूरी करता रहेगा
सुनके आवाज उसकी डरता रहेगा

सोमवार, 23 मई 2011

टाटा को मनाने में जुटी ममता

टाटा को मनाने में जुटी ममता- अबना तोसे पंगा लूंगी रे।

ईराक में सिलसिलेवार विस्फोट- कितने वर्षों से

टाटा बोले, मुकेष अंबानी का एंटीला किस काम का- पर हां है बड़े दाम का।

कर्नाटक में राष्ट्रपति षासन लगाने की सिफारिष खारिज- यानी भारद्वाज के नेकनीयती पर हुई जमकर बारिस

रोम जब जल रहा था तो नीरो वंषी बजा रहा था- सफलता के लिए इसी तल्लीनता की जरूरत होती है।

अफरीदी ले सकते हैं सन्यास- क्योंकि विरोधी लेने नहीं दे रहे हैं उनको सांस

रविवार, 22 मई 2011

पापाजी आई लव यू आई लव यू गाने लगे हैं

पापाजी आई लव यू आई लव यू गाने लगे हैं
जब फेषबुक उनको भाने लगे हैं
वो अब तो हर पल फेषिआने लगे हैं
इंटरनेट पर घंटों बिताने लगे हैं
आई लव यू आई लव यू गाने लगे हैं
किसी कमसीन को अपना बताने लगे हैं
मम्मी के हांथों पिटाने लगे हैं
वो सुबह षाम-षाम जिम जाने लगे हैं
बाडी को अपने बनाने लगे हैं
ब्यूटी पार्लर में फेसीयल कराने लगे हैं
वे तो आई लव यू आई लव यू गाने लगे हैं

शनिवार, 21 मई 2011

हास्य कविता

देष तबतक चलता रहेगा
नेताओं को माल जबतक मिलता रहेगा
हिंसा का तांडव जबतक होता रहेगा
भ्रष्टाचार जबतक करवट बदलता रहेगा
किसान जब तक मरता रहेगा
दलाल जबतक फलता रहेगा
बहु-बेटियों पर किंचड़ उछलता रहेगा
लफुआ लफुआगिरी करता रहेगा
बेमतलब का पंगा होता रहेगा
देष के किसी कोने में दंगा होता रहेगा
पड़ोसी-पड़ोसी से जलता रहेगा
भाई-भाई से बैर करता रहेगा
आम आदमी सत्य कहने से डरता रहेगा
सत्य का सूरज जबतक ढलता रहेगा
और देष द्रोही जबतक देष में पलता रहेगा

शुक्रवार, 20 मई 2011

ओबामा ने कहा

ओबामा ने कहा अलकायदा को सिखा दिया सबक - पर अब बनाना है पाकिस्तान को भगत

अंदर से पिघल रही है पृथ्वी- आखिर मां है दयावान तो होगी ना।

अब जल्द हीं मषीन पढेगी आपके दिमाग को- कि कहां भूसा भरा है।

क्या षिक्षा रोजगार की फैक्टरी है- बेरोजगारों की फौज को देखकर तो यहीं लगता है।

आज बरस सकते हैं बादल- इंद्रदेव से बात हो गई है क्या?
गरिबों की सूची में अफसर के बेटे - बड़प्पन इसी को कहते हैं।

मधुमेह के सरकार आंकड़े बेमानी- भला सरकार क्यों कराए खुद की बदनामी

क्यों उबल रहा है किसान

क्यों उबल रहा है किसान
क्या निकला नहीं अभी उसका पिसान
जबकी पहुंच गए कितने षमसान
सुना है
फिक्सिंग-फिक्सिंग खेल रहें हैं राहुल और माया
और दोनो ने है बात बढ़ाया
वरना राजनाथ आते जाते थे
गिरफ््तारी दे आते थे
बात को न बढ़ाते थे
किसान गोली खाते थे
और घर से भाग जाते थे
पुलिसवाले गरियाते थे
किसान सुनकर चुपचाप सो जाते थे
राहुल की तरह तने नहीं
स्कूटर पर चढ़कर बने नहीं
कहते हैं राहुल ने किसानों का मान बढाया
डटकर हक के लिए लड़ना सिखाया
माया को पसीना आया
उसने तुरंत फरमाया
राहुल की पार्टी में कोई नहीं सुनता
जब पार्टी में उनका दाल नहीं गलता
यूपी में आकर है मान बढ़ता
सोनिया और मनमोहन से केवल उनका बनता
सोनिया- मनमोहन तो कांग्रेस के छोटे नेता हैं
उनकी बात तो पार्टी का कार्यकर्ता भी नहीं सुनता हैं
बताओ सोनियां-मनमोहन हों जिसके गुरू
तो चेला तो उलूल जूलूल हीं करी
भला तूम्हारा क्या काम कराएंगे
जनता दरबार लगाएंगे
मेरे खिलाफ भड़काएं
मेरे प्यारे किसान
अभी तो केवल तेरा निकला है पिसान
क्यों नेताओं के बात मे है तू आया
अपने गौरवषाली इतिहास को है भुलाया
भला कब तुमने है अपना हक पाया
अबतक तो है भूखे पेट वंषी बजाया
बताओ किसने है तुम्हें भरमया
भला कौन तुूम्हें तेरा हक बताया
किसने कहा कि सरकार ने तुम्हें सताया
किसानों को अपना हक मांगना जुलूम हो गया
पुलिस के साथ दंगल हो गया
नेताओं के घर मंगल हो गया
हाय किसी पर नहीं आई उनको दाया
अपनी जमीन देकर जब हांथ कटाया
राहूल ने आस जगाया
तुम मुझे राज दो मैं तुम्हारा साथ दूंगा
बाद में मैं तेरे बीच राज-पाट बांट दूंगा
क्योंकि अभी तक मैने परिवार नहीं बसाया
ये उन्होंने दिगृविजय से कहलवाया
फिर दिग्गी दादाने फरमाया
न समझो राहुलजी आएं हैं फोटो खिंचाने
वो आएं हैं राजभट्टा को सिंगूर बनाने

सोमवार, 16 मई 2011

उनसे हमको गिला नहीं

उनसे हमको गिला नहीं
जिनको अबतक कुछ मिला नहीं
पर उनसे हम नाराज है
जो अकेले हीं आबाद हैं
राजनीति में जो कंगाल हैं
अब तक जो फटेहाल हैं
हाथ मलते रह गए बेचारे
पर दाल उनका गला नहीं
उनसे मेरा दिल जला नहीं
अहसान मानूंगा न मैं
जब मेरा भी सत्कार हो
मेरे गले में हार हो
दारू का कारोबार हो
और तूने मुझको अबतक
एक पाई दिया नहीं
मेरा घर अबतक बना किला नहीं
तेरे दरवाजे पर अबतक हमने
चायपानी तक किया नहीं
क्या समझते हों
अकेले खाओगे तो हम आपका गुन गाएंगे
और जुबान नहीं चलाएंगे
जुबान मैंने बंद किया नहीं
क्योंकि पोकेट तुमने मेरा गर्म किया नहीं
जेल हीं जाओगे जब अकेले खाओगे
मेरी दुआ न पाओगे
क्योंकि मालोमाल मुझको किया नहीं
मुफ्त की रोटियां तोड़ना चाहते हो अकेले
कार्य संस्कृति बदलना चाहते हो अकेले
तिजोरियां भरना चाहते हो अकेले
मिल बांटकर खाने वाला
भाईचारा अब तो रहा नहीं।

रविवार, 15 मई 2011

बहु का सम्राज्य है

बहु का सम्राज्य है
आधुनिक समाज है
बेटे का डोलता ताज है
केयरटेकर राज्य है
सासू मां पर गिर रही गाज है
पूरा करना घर का कामकाज है
और बचानी लाज हैै
बाप का बंद अवाज है
तानाषाही सम्राज्य है
राम भजन पर रोक लगी है
डिस्को की गूंज रही आवाज है
बहुरानी की 10 बजे नीद खुली है
और सबका लगा रही क्लास हैं
अहा पायी क्या भाग्य हैं
घूम रही खूब ताज हैं

मंगलवार, 10 मई 2011

मेरी पहली सुहागरात थी

मेरी पहली सुहागरात थी
सपनों से मुलाकात थी
उत्सुकता बढ़ी थी कि
कब उसका दीदार कर लूं
जीभर कर उसे प्यार कर लूं
मारे उमंग के मैं उस कमरे घुस गया
विषालकाया को देखकर एक पल मैं रूक गया
पर दूसरे पल जाने कहां मेरा सारा षेम गया
चिलमन उठाकर देखा तो वो हंुकार भर रही थी
मुक्कातान कर वो अपने प्यार का इजहार कर रही थी
भीमकाय काया देखकर मेरा रूह कांप गया
डर के मारे मैं निकलकर चिरकुट की तरह भाग गया।
कमसीन कली थी पर ग्रेट खली में पड़ी थी
लगता था वो दारा सिंह के स्कूल में पढी थी।
भागा हुआ मैं अपने दोस्त के यहां पहुंच गया
देखकर वहां मुछे वह संकोच से भर गया
और बोला यार बताओ तुम क्यों क्लास छोड़कर भाग गया
मैने कहा यार मैं सुहागरात नहीं मनाऊंगा
जानबुझकर मैं मौत के मुह में ना जाऊंगा
मेरा मित्र बोला चिंता न कर यार मैं मित्रता निभांऊंगा
तेरी जगह सुहागरात मनाने मैं चला जाऊंगा
मित्र की बात सुनकर मैं कृतज्ञ हो गया
ऐसा मित्र पाकर मैं धन्य हो गया
मैने कहा कि यार तेरा कर्ज किस जनम चुकाऊंगा
उसने कहा चिन्ता न कर अगले जन्म तेरे लिए षादी मैं रचाऊंगा
क्या करूं विलम्ब के लिए खेद है बहुत
पर रंडुआं हूं यार इस जनम मैं मौका नहीं दे पाऊंगा।

शुक्रवार, 6 मई 2011

एक दिन एक नेता की पत्नी ने पूछा

एक दिन एक नेता की पत्नी ने पूछा
अजी बताओ भ्रष्टाचार पर
लंबा-चैड़ा भाषण देने में
तुम्हे षर्म नहीं आती
डार्लिंग ये बात तो तुम्हें टीवी वाले बाबाओं से पूछनी चाहिए
कि क्या उन्हें लोगों का मूर्ख बनाने धर्म की याद नहीं आती
हम तो नेता ठहरे
भ्रष्टाचार की बात चलेगी
तो समझो हैं गंूगे -बहरे

फिर दूसरा सवाल पत्नी ने दागा
अच्छा बताओ क्या तुम्हारी आत्मा धिक्कारती नहीं
नेताजी बोले
आत्मा रहेगी तब न धिक्कारेगी
हम नेता तो आत्मा को परमात्मा विलिन कर दिए हैं।
यानी अपने को धन की देवी लक्ष्मी में लीन कर लिए हैं।
वैसे भी हम चार्वाक के अनुयायी हैं
यानी कि यावत जिवेत् सुखी जीवेत
अपनी जेब खूब भरत
घोटाला पर घोटाला करत्
ऐसे हम लोग ऐष करत
बाकि जनता रो-रो मरत्
फिर नेताजी ने पत्नी को पत्नी धर्म याद कराया
और कहा कि पत्नी का काम आदर्ष बघारना नहीं
पति के मन में नकारात्मक विचार डालना नहीं।
वह कैसी पत्नी
जो पति के वक्तृत्व कला पर इतराती नहीं
झूठ को सच साबित करने पर भी उसको प्रतिभावान मानती नहीं।

क्या गिरगिट की तरह रंग बदलना कला नहीं ?
क्या खुफीया एजेंसियों को नाको चने चबवाना प्रतिभा नहीं

डार्लिंग आज नही ंतो कल
अपने पति पर इतराओगी
जब पडोसन पैदल चलेगी और तुम हेलिकाॅप्टर उड़ाओगी

बुधवार, 4 मई 2011

झोलाछाप डाॅक्टर

झोलाछाप डाॅक्टर

मैं एक दिन बहुत सबेरे जगा
मेरा ब्लड प्रेषर सेंसेक्स की तरह उपर भागा
मैंने मन को समझाया कि मैं भला चंगा हूं
लेकिन पत्नी की इच्छा थी कि कुछ पंगा हो
पड़ोस के डाॅक्टर के पास जाने के लिए उसने मुझे मनाया
मैंने उस डाॅक्टर से अपना ब्लड प्रेषर नपवाया
उसने 180-220 को 80-120 बताया
छोलाछाप डाॅक्टर होने का धर्म निभाया।