शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

ममता के अंदाज में सड़क पर उतरेगी माकपा

शिक्षक और प्रिंसपल काटेंगे चलान- और पुलिस के जवान लेंगे क्लास।

मिल मजदूरों के मुद्दे पर फिर साथ दिखे राज और उद्धव- मतलब मिल मजदूरों में कोई यूपी बिहार से नहीं था।

ममता के अंदाज में सड़क पर उतरेगी माकपा- मतलब माकपा विरोध करते-करते अनुसरण पर उतर गई।

गहलोत का गरीबों के लिए योजनाओं का पिटारा- करना होगा विरोधियों का निपटारा।

चुप्पी तोड़ते ही लालू पर नीतीश ने किया पलटवार- ये तो तानाशाही है।

नीतीश ने फिर ली अधिकारियों की क्लास- पढ़ाई अधूरी किए होंगे।

अगुवानी में जुटा समूचा दिल्ली राज- आइए आपका इंतजार है।

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

उत्तर प्रदेश चुनाव में मारन, मोहन एवं उच्चाटन का प्रयोग

मेरा दावा है कि पहले जमाने में देशभक्त उतना नहीं थे कि जितना आज हैं। मेरा यह भी मानना है कि देश कि सेवा के लिए नेता बनना बहुत जरूरी है। नेता बने बिना देश की सेवा नहीं हो सकती। कारण की कुछ करने के लिए पावर की आवश्यकता है। बिना पावर सब सुना। कहा भी कहा गया है क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो। आज देशवासी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। यहीं कारण है कि आज नेता बनने केे लिये वैध- अवैध सारे हथकंडों को अपनाया जाता है। मारा-मारी की जाती है। कींचड़ उछालने से भी परहेज नहीं किया जाता है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में इसका सीधा प्रसारण देखा जा सकता है। लोकतंत्र के इस महापर्व में वह सबकुछ हो रहा है जो आनेवाले दिनों में लोकतंत्र का मान बढ़ाएगा। यानी नेतागण स्वस्थ एवं सालीन लहजे में अपनी बातें रख रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप में भी शिष्टता का पूरा ख्याल कर रहेे हैं। चुनावी सरगर्मी परवान चढ़ने के बावजूद पूरे धैर्य धारण किये हुए हैं। मारन मोहन एवं उच्चाटन के भी खूब प्रयोग हो रहे हैंैं। कोई किसी को श्रा्रप दे रहा है तो कोई किसी को आर्शीवाद। हालांकि अभी शुरूआत है। क्लाइमेक्स के लिए आपको कुछ दिन इंतजार करना होगा।
हाथ से फिसल न जाए इसके लिए नेताजी ने श्रम विभाजन का पूरा ख्याल कर रखा है। अभी से सबका दायित्व सौंप दिया गया है। नेताजी के नजर में चुनाव जीतने के लिए जनता का वोट जितना जरूरी है उतना हीं भगवान की कृपा भी जरूरी है। नेताजी के पास जनता को मनाने के साथ-साथ भगवान को भी मनाने की पूरी योजना है। जनता को मनाने का जिम्मा जहां नेताजी ने अपने विश्वासपात्रों को दे रखा है वहीं भगवान को मनाने का जिम्मा उन्होंने अपने पत्नी को दिया है। नेताजी की धर्मपत्नी अपने इस काम में मुस्तैदी से लगी हुई हैं। उनका सप्ताह का आधा दिन व्रत में गुजर रहा हैं तो आधा दिन पंडितजी के साथ विचार- विमर्श करने में। भगवान का भाव भी चुनाव के वक्त सातवें आसमान पर है। जहां पहले वह लड्डू एवं पंेड़ा पर प्रसन्न हो जाया करते थे। वहीं अब अनुष्ठान से नीचे पर बात नहीं बन रही है। पंडितजी ने स्पष्ट चेतावनी दे रखी है कि अगर विरोधी दल के नेता ने अधिक चढ़ावा चढ़ा दिया या बड़ा अनुष्ठान करा दिया तो जीत की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। नेतागण भगवान को यह कहने का मौका नहीं देना चाहते कि दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय। इसलिए सालभर पहले से हीं उनका पूजा पाठ शुरू कर दिया गया है।
ऐसा नहीं कि भगवान से केवल प्रार्थना नेतागण हीं कर रहे हैं। जनता भी खूब भगवान को धन्यवाद दे रही है। कारण कि इनदिनों वहां खूब सदाव्रत लुटाया जा रहा है। जनता की पूछ इतनी बढ़ गई है कि लोग भगवान से रोज चुनवा कराने की प्रार्थना कर रहे हैं। ताकि लोगों की पूछ इसी तरह बनी रहे। जनता की इतनी पूछ तो रामराज्य में भी नहीं हुई होगी।
जनता के जीवन में इतनी खुशहाली शायद हीं पहले कभी आया हो। मुफ्त रैली में भाग लेकर शहर घुमने का अवसर तो मिल हीं रहा है। साथ में जयाप्रदा आजम खां संवाद सुनकर मनोरंजन करने मौका भी भरपूर मिल रहा है। इसके पहले आजम खां - अमर सिंह संवाद सुनकर लोगों ने अपना मनोरंजन किया था। पहले भी लोग अंगद- रावण संवाद, लक्ष्मण-प्रशुराम संवाद से लोग परिचित रहे हैं। लेकिन यूपी में हो रहे संवादों के आगे सबकुछ फीका है।

सुन्दर रचना

मैं एक दिन फेसबुक पर चैटिंग  कर रहा था। खुशनुमा माहौल था स्क्रीन पर एक मैडमजी का हो रहा दीदार था। पर हमदोनों के बीच एक अनचाहा सा दीवार था। मैंने हिम्मत कर के दीवार तोड़ दी। हैलो मैम कहकर कनेक्शन जोड़ दी। मैने कहा हैलो मैम इन दिनों क्या चल रहा है। उन्होने कहा कि इन दिनों भारत-पाक में वार चल रहा है। एक बार नहीं सौ बार चल रहा है। क्योंकि कवि सम्मेलन धुआंधार चल रहा है। मैंने का कहा कि यह तो किसी समाचारपत्र में नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब लोगों के पास दूरदृष्टि नहीं है। भविष्य जानने के लिए कवि होना पड़ेगा। जहां जैसा वहां वैसा गाना पड़ेगा ।
फिर उन्होंने बात को मोड़ा और शिकायत भरे लहजे में बोला। आप तो कभी मेरी कविता की तारीफ भी नहीं करते। मैंने लिख भेंजा सुन्दर रचना। उधर से जवाब आया अगली बार मत बकना। वरना मुश्किल पड़ जाएगा मेरे पति से बचना। मैने कहा क्या मै कुछ गलत कह दिया। उन्होंने कहा नहीं सिर्फ सही वक्त का चयन तूने नहीं किया। वैसे तेरा कुछ ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। अभी तुम्हारा मेरे पति से मार नहीं हुआ है। मैने कहा कि मैडमजी ये आप क्या कह रही हैं। क्यों नेकी करने पर ब्रम्हहत्या का पाप दे रहीं हैं।। मुझे क्या पता था कि आप मेरे साथ विश्वासघात कर देंगी। चैटिंग मेरे साथ करेंगी और साथ अपने पति का देंगी। वैसे भी मैने आपकी कविता की तारीफ की थी। आपकी नहीं। क्या आपके पति को आपकी तारीफ करना भी पसंद नहीं है?
उन्होंने कहा कि तुम इतना अपसेट क्यों हो। दरअसल तुम्हें मालूम नहीं रचना मेरा नाम है। मेरा नाम कोई प्यार से ले उन्हें पसंद नहीं है। ये उनका मेरे प्रति यह प्यार है।
वैसे तारीफ करके तुमने कोई अपराध थोड़े किया है। सुन्दर को सुन्दर नहीं कहोगे तो क्या कहोगे। मेरी सुन्दरता को देखकर बड़े-बड़े मेरी तारीफ करने से अपने आपको नहीं रोक पाते। मैने कहा कि मैडम- मैडम ये क्या बक रही हैं।
मैने पूछा कि अच्छा बताइए मुझे आपकी रचना की तारीफ करना था। अगर मैं सुन्दर रचना कहकर तारीफ नहीं करता तो भला किस तरह करता। तब उन्होंने मुझे बताया कि तुम मेरी कविताओं की इस प्रकार तारीफ कर सकते थे - आपकी श्रीगांर भरी रचनाओं को सुनकर मुझमें वीर रस का भाव जग गया। रही मेरी बात तो मुझे जो अच्छा लगता वह समझती।
वैसे सच बताऊं आपकी तारीफ करना मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन आपहीं बताइए किसी के पति के सामने अगर आप उसकी पत्नी की तारीफ करेंगे तो क्या उसे अच्छा लगेगा।
फिर मैने संभलते हुए कहा कि मानलीजिए मैंने आपकी हीं तारीफ की है तो मैंने आपकी तारीफ हीं न की है कोई गाली तो नहीं दी है। उन्होंने कहा कि तुम्हारे बातों में दम है।  पर इसे समझने वाले दुनिया में बहुत कम हैं। मैने कहा कि फिर अपने पति भैंसासुर से बचने का उपाय बताओ। अबकी बार वह खुशी से चहक उठीं और कहने लगीं कि तुम कोई भविष्यवक्ता तो नहीं। मैंने कहा नहीं-नहीं मैं एक सीधा-साधा इंसान हूं। मुझे फिर किसी मुसीबत में मत डालो। उन्होंने कहा दरअसल तुमने मेरा और मेरे पति का नाम एकदम सही बताया है। मैं भी उन्हें प्यार से भैंसासुर हीं कहती हूं। तुम्हें हम दोनों का नाम कैसे मालूम हुआ।
मेरा दिल नहीं माना और मैने फिर एक बार उनसे पूछा मैडमजी क्या आपको अब भी लग रहा है कि मैने आपकी हीं तारीफ की थी। उन्होंने कहा कि किसी की तारीफ करना क्या अपराध है क्या ? तुमने जीवन में पहली बार किसी की तारीफ किए थे क्या ? क्या तुम नहीं जानते सौन्दर्य ईश्वर का हीं रूप है। सुन्दरता अपने आप में एक गुण है। उनके इस प्रकार के तर्कों को सुनकर चुप रहना हीं बेहतर समझा। लेकिन कान पकड़ा चैटिंग ना बाबा ना।

बुधवार, 27 जुलाई 2011

ड्रामा क्वीन राखी का दिल बाबा रामदेव पर

ड्रामा क्वीन राखी का दिल बाबा रामदेव पर -योगी हम तो लूट गये तेरे प्यार में।

रंग ले आई हिना -हुर्रियत वालों के चेहरे पर न।

अभी और महंगा होने वाला है लोन- तो कौन आज हीं देना है।

खुशनुमा माहौल में भारत-पाक दोस्ती की बातें- सच बोल रहें हैं न आप।

यह महंगाई कब तक - जीवन है जबतक ।

डाॅगी नहीं, कंप्यूटर होगा अब आपका लाडला- सबकाम कर देगा क्या ?

स्त्री का बदलता स्वरूप- क्रीम पोतने से।

छात्रों का भ्रष्टाचार के विरूद्व हल्ला बोल- हो जाओगे रामलीला मैदान की तरह गोल।

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

किसानों को मनाने में जुटे बिल्डर

महंगाई को लेकर बसपा ने किया प्रदर्शन- यानी माया राज में नहीं होगा महंगाई का दर्शन।

वकील का अपहरण कर पीटा- वकील साहब केस लड़ने से इनकार कर रहे होगें।

तेरा दर्द देखा तो मुझे अपना गम याद आ गया- इसलिए तड़पता छोड़कर मैं तुमसे दूर भाग गया।

चाॅक पाउडर से बनाई जा रही थी दवाएं- ताकि लोग दवाओं के अभाव में न मरे।

किसानों को मनाने में जुटे बिल्डर- मान जाओ न मोरे भईया क्यों डूबोतेे हम सबों की नईया।

जमीन घोटाले में नीतीश की साख दाव पर- हां घोटाले के आरोपी नेताओं की साख बहुत प्रभावित हुई है समाज में उन्हें कोई पूछ नहीं रहा है।

विश्वास बड़ी चीज होती है- इसलिए तो जनता पुलिस के हर दावे पर विश्वास कर लेती है।

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

राहुल आप कहीं मत जाइए।

मेरा कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से से कहना है कि वो कहीं न जाएं। कारण कि आपके कहीे जाने से आपके अपनो को दुख होता है । किसी को दुख पहुंचाना कहां की मानवता है। हां आप घर पर बैठे -बैठे बोर हो सकते हैं तो कहीं देश-विदेश की सैर कर आएं। नहीं तो उत्तर प्रदेश के सिवा कहीं और चले जाएं। कारण कि आप उत्तर प्रदेश में जाॅगिंग करके अपना तो सेहत सुधार लेते हैं। लेकिन कईयों का दिनचर्या खराब कर देते हैं। आपके बन्धु -बान्धव यानी नेता रात-दिन जाग-जागकर पता करते रहते हैं कि आप कहां हैं और क्या कर रहे हैं।

मैं आपसे से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं। क्या आप चाहते हैं कि देश में हाई ब्लड़ प्रेशर की संख्या ज्यादा हो । शायद आपका जवाब होगा नहीं। तो आप अपना उत्तर प्रदेश का दौरा बंद कर दीजिए। आप उत्तर प्रदेश में चुनाव संपन्न हो जाने तक तो नहीं हीं जाइए। नही तो यकीन मानीए जनता का ब्लड प्रेशर भले न बढ़े। आपके विरोधियों का ब्लड प्रेशर जरूर बढ़ जाएगा। फिर तो आप जानते हैं कि ब्लड प्रेशर बढने पर क्रोध ज्यादा आता है जो अंततः जनता पर हीं उतरता है। जैसी कि रामलीला मैदान में उतरा। क्योंकि भईया पुलिस तो नेताओं के पास हीं है न।
जब आपके विरोधी नहीं चाहते कि आप किसी जरूरत मंद की सहायता करें तो आपको क्या पड़ी है। क्या किसी बीमार को एम्स जाकर देखना आपको शोभा देता है। भला डाॅक्टर क्या समझेंगे कि इतना बड़ा नेता होकर किसको देखने चला आया।
सुना है कि आप रास्ते में जाते वक्त किसी घायल को पाते हैं तो अपनी गाड़ी से उसे अस्पताल पहुंचाते हैं। यहीं नहीं गाडी रोकवाकर आप किसी ढाबे पर चाय पीने लगते हैं। किसी गरीब के घर खाना खाने बैठ जाते हैं। क्या आपका यहीं स्तर रह गया है। आपसे लोगों की यह उम्मीद नहीं थी।
विरोधी दल वाले आपके स्तर को उंचा देखना चाहते हैं जैसे आप केवल उड़न खटोला में उड़ें। जनता को आपका दर्शन हीं दुर्लभ हो जाए। जैसे और बडे नेताओं का जनता का दर्शन दुर्लभ हो जाता है। वे केवल टीवी पर दिखाई देते हैं या चुनाव के वक्त। अभी चुनाव नहीं आया है अभी से गली-गली खाक छानना कहां की समझदारी है।
अब पद या़त्रा शुरू करके एक नया बखेड़ा शुरू कर दिए हैं। आपके देखा-देखी दूसरों को भी ऐसा करना पड़ेगा। आप आगे ले जाने की जगह देश को पीछे ले जाने पर तुले हुए हैं। पहले के जमाने में लोगों के पास घोड़ा-गाड़ी नहीं होता था। इसलिए लोग पदयात्रा करते थे आखिर आपको किस चीज की कमी है कि आप पद यात्रा कर रहे हैं। ऐसा करके आप तो देश के लाखों नेताओं के रूतबे को हीं कम कर देंगे। जब राजनीति में आकर पैदल हीं चलना पड़ेगा तो लोग काहे को राजनीति में आने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगाएंगे।

रविवार, 10 जुलाई 2011

महाजनो येन गतः स पन्था।

कोई जब मुझसे पूछता है कि किसमें कितना है दम तो मैं हमेशा कनफ्यूज्ड हो जाता हूं। कारण कि अगर नेताओं की बात जाए तो उनकी लोकप्रियता का आकलन उनपर फेंके जाने वाले जूते के आधार पर किया जाय या उनके घोटाला करने की क्षमता के आधार पर। आज के जमाने में कोई किसी को नहीं पूछता है चाहे जूते हीं क्यों न चलाने हों। ऐसे में नेताओं पर जूता चलना समाज में उनकी स्वीकार्यता को दर्शाता है।
गौर से देखा जाए तो अभी तक जिसको भी जूते पड़े हैं वे सबके सब महान हस्तियां थी। जूते खाने के लिए भी भाग्य जरूरी है ऐसे थोड़े किसी पर जूते पड़ जाएंगे। आज बड़े- बड़े लोग भी जूते खाने के लिए तरसते हैं। किसी ऐरू-गैरू की बात हीं क्या? जहां तक मेरी बात है मैं तकदीर का शुरू से छोटा हूं। हर बार अवसर मेरे हाथ से फिसल जाता है।
आज जूता अपमान सूचक नहीं रह गया है यह सम्मान सूचक हो गया है। आज जूता केवल पैर में हीं नहीं रहता यह सर पर भी इठलाता और इतराता है। जबसे बड़ी हस्तियों के सर पर शोभायमान होने लगा है उसके तेवर देखते हीं बनते हैं। देश और दुनिया की बड़ी-बड़ी हस्तियों पर जूते पड़े हैं। और पड़ रहे हैं। इतनी बड़ी हस्तियों पर जूते पड़ते देखकर मेरा भी लार टपकने लगता है। क्यों न हो- आखिर महाजनो येन गतो स पन्था।
आश्चर्य तो देखीए जमाने के साथ जूते ने भी अपने रंग बदले। यह पहले कमजोर एवं अशक्त लोगों पर पड़ता था अब यह अमीरों पर पड़कर इठला रहा है। क्या करें भाई जमाने का दस्तूर यहीं है। उगते सूर्य को सलाम करना और डूबते को राम-राम करना। जो लोग सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हैं। वे जूते खाने में भी पिछुड़ गए। और हर बार की तरह अवसर का लाभ इस बार भी बड़े लोगों ने उठा लिया।
जब भी मेरा मन कहता है आ जूते मुझे मार तो वह चला जाता है किसी और के द्धार। मैं जूता चलाने वाले जाबांजों से कहता हूं कि भाई मुझपर जूते चलाकर अपनी वीरता साबित करो। मुझपर जूते चलाने के कई फायदे हैं। मसलन आपको जेल की हवा नहीं खानी पड़ेगी। आप पर पुलीस के डंडे नहीं बरसेंगे। बल्कि इसकी जगह आप पुरस्कृत हीें होंगे। रही बात मीडिया कवरेज की तो मैं उसकी भी व्यवस्था करा दूंगा।
मुझे तो निमंत्रण देने पर भी जूते कोई नहीं मारता। यकीन मानीए अगर इसी तरह मेरी जूते खाने की लालसा अधूरी रही तो मैं भाड़े के लोगों से जूते फेंकवाकर अपनी इच्छाा पूरी कर लूंगा।
जब जूते किसी दूसरे पर पड़ जाते हैं और मैं इससे वंचित हो जाता हूं तो अपने भाग्य को कोसने लगता हूं। आखिर ईश्वर मेरे साथ हीं नाइंसाफी क्यों करता है। क्या मैं उनकी नजर में जूते खाने लायक भी नहीं हूं।
आशा है भविष्य में जूते सदाबहार ढंग से पड़ते रहेंगे। अगली बार जूते मुझे हीं पड़ें। इसके लिए मैं अपने पंडितजी से मिला हूं। उन्होंने मुझे ग्रह अशांति का पाठ कराने को कहा। उन्होंने कहा है कि बेटा जबतक तेरे ग्रह शांत रहेंगे । तुम्हें जूते नहीं पड़ने वाले। इसलिए कुछ ऐसा उलट-पूलटा करो कि तुम्हारे ग्रह अशांत हो जाएं।
सच है संभावनाएं कभी नहीं मरती। इसलिए मेरी भी जूता खाने की संभावनाएं बनी हुई हैं। पर इसके लिए पुरूषार्थ तो मुझे हीं करना होगा न। हाथ पर हाथ धरे रहने से तो सफलता मिलेगी मिलेगी नहीं।
हमारे यहां अध्यात्म में कहा गया है कि अगर इस जन्म में किसी की कोई इच्छा नहीं पूरी होती तो वह संस्कार रूप में मौजूद रहती हैं। और व्यक्ति को इच्छा की पूर्ति के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ता है। मेरी भी इस जन्म में जूता खाने की इच्छा अधूरी रह गई लगता है यह दूसरे जन्म में हीं पूरी होगी।

बुधवार, 6 जुलाई 2011

वे पर्यावरण बचा रहे थे।

मैं इनविजिलेटर बनके
एक संस्थान में एग्जाम कराने जा रहा था
मेरे एक साथी
मेरे पास आकर
मुझे समझा रहे थे
बड़े शातीर लड़के हैं सर
कहकर मुझे सावधान करा रहे थे।
पर वे मुझे तो सीधे-साधे नजर आ रहे थे।
वे इतना प्रतिभावान थे कि
तीन घंटे के पेपर को डेढ़ घंटे में हल करके जा रहे थे
उत्तर लिखने से ज्यादा प्रश्न पढ़ने में समय बिता रहे थे
वे भेलपुरी खा रहे थे और मुझे भी खिला रहे थे
आप बड़े अच्छे हैं सर कहकर मुझको फुला रहे थे
वे एक पल में जीवन बिता रहे थे
जीवन का उत्सव मना रहे थे।
काॅपी पर कुछ न लिखकर वे पर्यावरण बचा रहे थे।
आश्चर्य है फिर भी उनके पैरेंटस उन्हें नालायक बता रहे थे।

सरकार सर्वदलीय बैठक बुलायी

सरकार सर्वदलीय बैठक बुलायी
उसमें
किसी ने फर्मराया
तो कोई गर्मराया
तो किसी ने
अपना असली तेवर दिखाया
कोई अन्ना को तानाशाह बताया
तो कोई रामदेवजी को कसूरवार ठहराया
सभी ने हां में हां सूर मिलाया
बैठक में हुई रजामंदी
सरकार पर नहीं लगाई जायगी कोई पाबंदी
क्योंकि वह कानून बनाने के लिए है
संविधान तो भगवान बनाते हैं
हम उनके काम में नहीं हाथ लगाते हैं
हम उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं जाते हैं।
सबने एक साथ फैसला किया
नहीं चलेगी अब अन्ना की लामबंदी
भेद देंगे हमसब मिलकर उनकी हर किलेबंदी
नही ंतो आ जाएगी हमारे जीवन में मंदी।

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

नीतीश चीन घुमाएं तो जानें।

न्यूज पेपर और टीवी वाले भी महान हैं। वे देश की जनता में ऐसी ऐसी बातें भर देते हैं कि लोग दिन में हीं सपने देखने को मजबूर हो जाते हैं। या फिर आंदोलन करने को उतारू हो जाते हैं। आखिर कितने लोग यह जानते थे कि रेलवे के मामले में 1970 तक भारत एवं चीन बराबर के स्तर पर थे। या अब भारत चीन से काफी पिछुड़ गया है। चीनी लोग अब बुलेट ट्रेन में बुलेट की रफ्तार से यात्रा करते हैं जबकी भारतीय रेलवे धीमी गति की समाचार हो चुकी हैं। चैनलों द्वारा फैलायी जा रही ऐसी अफवाहों का असर यह हो रहा कि देश में कुछ लोग बुलेट ट्रेन के धीमी प्रगती पर लाल पीले होनेे लगे हैं। वे यह सुनकर परेशान हैं कि चीन ने हमसे काफी अधिक प्रगति कर ली है। और वहां के लोग बुलेट ट्रेन पर तेज गति से सफर का लुत्फ उठा रहे हैं। जो लोग बुलेट ट्रेन पर चढ़ने के लिए उतावले हो रहे हैं वे इसके नफा-नुकसान को नहीं जानते। ज्योहीं वे इसके नफा-नुकसान को समझ जाएंगे। बुलेट ट्रेन पर चढ़ने के जिद्द को छोड़ देगें। ऐसी आशा वे हीं लोग कर रहे हैं जिनकी समझदारी अभी विकसित नहीं हुई हैं। आप कहेंगे कि हम बड़े हो गए हैं जी हमारे समझदारी पर सवाल मत उठाओ। इसपर मेरा कहना है कि बच्चे भी अपने को बड़ा कहते हैं पर वे कहने से बड़ा थोड़े हो जाते हैं। आखिर लोग यह क्यों नहीं जानते कि देश में लोकतंत्र है और यहां नेतागण हर फेसले लोकहित में लेते हैंे। हमारे देश के नेता देश की जनता की जान को खतरे में नहीं डालना चाहते हैं। इसलिए वे जनबूझकर बुलेट ट्रेन को पटरी से उतार दिए हैं। वे जानते हैं कि जनता अक्सर कल्पना लोक में विचरण करने लगती है। जो उसके सेहत के लिए ठीक नहीं है। जनता को धरातल पर लाना तो राजनेताओं का काम हैं । वे अक्सर उनके ख्वाबों को चूर-चूर कर उनको धरातल पर पटक देते हैं। नेता जनता की जब इतना भी भला नहीं सोंचेगे तो जनता का वोट देना तो व्यर्थ हीं कहा जाएगा न। नेता जानते हैं कि सावधानी हटी को दुर्घटना घटी। देश में सर्वाधिक घटनाओं का कारण वाहन का तीव्र गति से होना है। आपने सार्वजनीक जगहों जगह-जगह लगे ऐसे चेतावनी देते बोर्डों को देखा होगा। आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा तब चीन क्यों बुलेट ट्रेने चला रहा है। भाई वहां लोकतंत्र नहीं है। वहां की सरकार जनता के हित में फैसले थोड़े लेती है। वह उन्हें बुलेट ट्रेन पर चढ़ाकर मार देना चाहती है। सुना है अपने बिहार के मुख्यमंत्री इन दिनों चीनी रंगों में रंग गए हैं। वे अपनी चीन यात्रा के बाद चीन से इनता प्रभावित हुए हैं कि हर जगह चीन की डायरी लेकर बैठ जाते हैं। अक्सर उनको अधिकारियों से यह कहते हुए सुना जा रहा है कि चीन में ऐसा होता है चीन में वैसा होता है। चीन के किसान ऐसे खेती करते हैं चीन के किसान वैसे खेती करते हैं। भाई हम तो चीन गये हीं नहीं हैं तो हम क्या जानते हैं कि चीन में क्या होता है। घुमाओ तो जाने। नही ंतो हम यहीं न समझेंगे की चीन में आपकी आवाभगत कुछ ज्यादा हो गई। जिसको आप भुला नहीं पा रहे हैं।
विकास कराया तो क्या किया
अपराध मिटाया तो क्या किया
चीन घुमाओ तो जाने
बुलेट ट्रेन पर बैठाओ तो जाने
विकास पुरूष हम तुमको तब मानंू।

सोमवार, 4 जुलाई 2011

जया प्रदा ने आजम खान को दिया शाप

दिल्ली में शराब पीना हुआ महंगा- तो क्या हुआ नोयड़ा और गुड़गांव से पी आएंगे।
यात्रियों को मिली 23 नई ट्रेनों की सौगात- यात्रीगण कृप्या ध्यान दें वे धीमी गति से हीं यात्रा की बात सोंचे।। बुलेट ट्रेन में चलने के सपने ना देखें।
जया प्रदा ने आजम खान को दिया शाप- बाप रे बाप
बेनामी लाॅकर से मिले दस करोड़- तो मुझे दे दीजिए
अब फातमी भी लालू से नाराज- सुख के सब साथी दुखवा में न कोय।
संयुक्त राष्ट्र संघ तक गूंजी नीतीश के कामकाज की धमक-यानी बिहार गया चमक।
सच कहूं तो मैं पड़ोसियों के बारे में बहुत चिंतित हूंः मनमोहन सिंह- और देश में सबकुछ ठीक ठाक है।
बिग बाॅस से पहले हीं स्टार बन गई मारिया- होनहार विरवान के होत चिकने पात
जेल में मौज करते मिले कलमाड़ी- क्योंकि वे जानते हैं कि जीवन एक उत्सव है।
सीपी में ट्रांसफाॅर्मर जलने का सिलसिला जारी- जरूर इसमें चोर उचक्कों का हाथ होगा।

साहब क्यों गुर्राए

साहब क्यों गुर्राए
जब जी हुजूरी कम हो जाए
जब पड़ोसी उनसे आगे बढ़ जाए
जब वो बकवास पुराण सुनाएं
और कोई न उसपर ध्यान लगाए
या फिर कोई असहमति जताए
या फिर कोई विसंगती दिखाए
या फिर कोई न दरबार लगाए
या फिर ना जयजयकार लगाए
या फिर ना स्तुतिगान सुनाए
या झोला ढोने से कतराए
जब कोई रोनी सूरत नहीं बनाए
ज्ब कोई अपनी लाचारी नहीं सुनाए
जब कोई अपनी उपलब्धि गिनाए
जब कोई ना दूम हिलाए
जब कोई नहीं अपना दीन ईमान डोलाए
जब कोई अपना स्वाभीमान बचाए
या जब कोई कुत्ते पर उनके दोष लगाए
भौंकने पर उसके रोक लगाए
सुबह -शाम जब वे पार्क को जाएं
टहलता हुआ कोई उनसे आगे निकल जाए।

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

लोकतंत्र का यह हनन कैसा

जब सारा संसार हीं अपना है
तो बोलो डार्लिंग क्यों हमसे दूर सपना है
क्या तेरा समानता पर भाषण झूठा था।
क्या भोजन खिलाना पाप है जो भूखा था
सोंचो तो फिर क्यों तेरा मूड उसके प्रति रूखा है
सपना का जीवन तो अबतक था विरान रहा
जबतक उसे केवल अपने पति का प्यार मिला
जबतक मेरे और उसके बीच नहीं था कोई गुल खिला
जबतक मेरा और उसका नहीं था दिल मिला
क्या तेरे उपदेशों का मैंने किया अमल नहीं
क्या पूराने वसूलों से किया मैंने गमन नहीं
जरा सोंचो तो
तेरा पति जीवन में पहली बार कोई नेक काम कर रहा है
सपना को उसका हक दे रहा है
अब वह तेरे आदर्श पर चल रहा है
किसी दूसरे मर रहा है
तुम्हीं तो कहा करती थी
तुम नए जमाने की लड़की हो
शादी से पहले तुम खुलापन में रहा करती थी
जमाने का दबाव नहीं सहा करती थी
तुमने मुझसे भी चाहा था कि
तुम्हारा पति भीरू बने नहीं
जमाने से डरके रहे नहीं
फिर मेरे अधिकारों का दमन कैसा
लोकतंत्र का यह हनन कैसा
भला बताओ क्या मैं
21वीं सदी में संकीर्णता अपनाऊंगा
तो कंपटीशन में टिका रह पाऊंगा
हसीनाओं का दिल जीत पाऊंगा
जब आॅफीस में महिला को हीं बोस पाऊंगा
तब उसके सामने मैं कैसे धौंस दिखाऊंगा
उसके सामने जब मैं तैश दिखाऊंगा
तो बताओ भला कैसे मैं कैश पाऊंगा
फिर बिना पैसे का कैसे तुम्हें ऐश कराऊंगा।

तुमने मुझसे भी ऐसे हीं प्रीत लगाई थी
मेरे साथ आई लव यू गाई थी
और अपने पति को गम की धुन सुनाई थी
उस वक्त कहां तुम शर्मायी थी
फिर उसका मेरे साथ रहना
क्यों तुम्हें होता सहन नहीं
क्या सपना तेरी बहन नहीं
जब तुम्हारा तबादला यहां से दूर हो गया था
मैं दिल के हाथों मजबूर हो गया था
जानकर बेरोजगार मुझको
हसीनों के जलवे क्रूर हो गया था।
तभी एक दिन मुझसे सपना मिल गई
जाने किस पल मुझे अपना कर गई
वह भी अपने पति से उब चुकी
उसके साथ चारो धाम खुब कर चुकी थी
इनसान जो बोता है
वो वहीं तो पाता है
फिर काहें पछताता है
जरा याद करो
जब मैंने तुम्हे चुना था
तेरे साथ प्यार का ताना-बाना बुना था
जब मैने तेरे दिल पर डांका डाला था
उस समय तुमने मुझे वीरबांका कहा कहा था
जरा सोंचो तो तुमने भी तो मुझे पाने के लिए
अपने पहले पति को टाटा कहा था।
मेरे साथ जीने-मरने का वादा किया था
फिर मेरे साथ रहकर मेरा जीना दूभर किया था।
आज मैं तुमसे बाॅय-बाॅय कह रहा हूं।
तुम्हारा प्यार ममता को देकर
उसका दुख दूर कर रहा हूं।
सपना के साथ आई लव यू गा रहा हूं
यों न समझो कि नारी पर मैं कोई जुल्म कर रहा हूं
एक नारी के सपने को चूर कर रहा हूं
तुम्हे फैसला लेने को मजबूर कर रहा हूं
क्योंकि एक का हक छिनकर
मैं दूसरे का कष्ट दूर कर रहा हूं
और अन्तिम मौका मैं जरूर दे रहा हूं
आखिरी वक्त है फैसला कर लो
तुम्हें महाभारत करने की छूट दे रहा हूं।