गठबंधन के दौर में
सिद्धान्तों का चढ़ रहा भेंट
अपने स्वार्थ के खातीर
हर कोई कर रहा अपनी गोटी सेट
मौका हाथ नहीं मिलने वाले
लगा रहे आदर्षवाद की रेट
स्वहित के खातीर अन्ना जा रहे हैं
जंतर- मंतर पर लेट
वरना वे स्वीकारते
दंतहीन लोकपाल की भेंट।
सिद्धान्तों का चढ़ रहा भेंट
अपने स्वार्थ के खातीर
हर कोई कर रहा अपनी गोटी सेट
मौका हाथ नहीं मिलने वाले
लगा रहे आदर्षवाद की रेट
स्वहित के खातीर अन्ना जा रहे हैं
जंतर- मंतर पर लेट
वरना वे स्वीकारते
दंतहीन लोकपाल की भेंट।
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