गुरुवार, 12 जनवरी 2012

कुशवाहा का हो रहा गृहप्रवेश है

मौकापरस्ती नहीं
ये पार्टी  विद डिफरेंस है
नया राष्ट्र बनाने का यहीं सेंस है
समय के साथ बदलता पार्टी का वेश है
बाबु सिंह कुशवाहा के प्रति
लोगों में बेवजह रोष है 
कुछ पार्टी नेताओं  में भी  जोश है 
क्योंकि उनको परिणाम का नहीं होश है 
विपक्षी पार्टियों के नैतिकता पर
 दिए प्रवचनों से वे मदहोश  हैं 
 उनमें कुछ आक्रोश  है 
लेकिन उत्तर प्रदेश में प्राप्त करना जनादेश है
इसलिए कुशवाहा का हो रहा गृहप्रवेश है 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक और सामयिक पोस्ट,आभार.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.

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  2. वाह!...आपने हास्य द्वारा सच्चाई उजागर कर दी!....धन्यवाद!

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  3. वाह सामयिक व्यंग गोपाल जी बधाई

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