मेरा आपको सुझाव है कि अगर आप कमजोर दिल इनसान हैं तो टीवी पर क्राइम रिपोर्ट न देखंे। वरना हार्ट अटैक होने पर जिम्मेदारी मेरी नहीं होगी। थोड़ा मजबूत दिल इनसान को चेस्ट पेन या सर दर्द तक की षिकायत रह सकती है। लेकिन कमजोर दिल इनसान का राम-नाम सत्य होना तय है। दिवाली के पटाखे से षायद आप बच जाएं लेकिन क्राइम रिर्पोट के बम से बचने की संभावना नही ंके बराबर है। हां जो हाॅरर फिल्मों के षौकिन हैं वे जरूर हाॅरर दृष्य का लुत्फ उठाएं। औरत एवं बच्चे ऐसे सीन के प्रति काफी संवेदनषील होते हैं। आइए जानते हैं उनके अनुभव के बारे में कि जब वे पहली बार टीवी पर क्राइम रिर्पोट देखे तो उनको कैसा लगा। आइए जानते हैं मेरी पत्नी के अनुभव। क्राइम रिपोर्ट देखकर रात भर वह जगी रह गई। उसका कहना था कि टीवी वाले भाई साहब जाते-जाते चेतावनी देकर गये थे कि चैन से सोना हो तो जाग जाइए। वह रातभर जागकर ताकती रह गयी कि जरूर कोई बड़ी बात होगी वरना भाई साहब ऐसा थोड़े कहते। वह मुझे समझा रही थी कि आज भी घोड़ा बेंचकर मत सोना जी आज कुछ हो सकता है। पड़ोस की एक बहन जी से जब मैं क्राइम रिर्पोट पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनका कहना था अजी मत पूछो टीवी वाले भाई जी इतने गुस्से में लग रहे थे मानो वो टीवी से निकलकर आंख खोद देगें। जब तीसरी बहन जी से पूछा तो उनका कहना था कि मेरे बच्चे तो उनके हाव-भाव को हीं देखकर चीखने चिल्लाने लगते हैं। उनसबों कहना था कि अंकल का चेहरा-मोहरा फिल्मों के खलनायक से मेल खाता है। वो मुझे बहुत डरावने लगते हैं।
चैथी बहनजी का क्राइम रिर्पोट के बारे में कहना था कि मुझे तो लगा कि वे मन का भड़ास निकाल रहे थे। हो सकता है कि पत्नी के साथ घर पर हुए संग्राम का यहां गर्जन- तर्जन के साथ जवाब दे रहे हों। सामने हिम्मत जो नहीं हुई होगी।
जब मै लोगों से यह जानना चाहा कि आप ऐसा प्रोग्राम क्यों देखते हैंैं। तो उनमें से अधिकांष का कहना था कि वे डरावनी फिल्मों के षौकिन हैं। कुछ लोगों का कहना था कि लड़ाई झगड़े का कांसेप्ट उनको सीरियलों से पूरा नहीं मिल रहा था। सो उन्हों ऐसी रिर्पोटों को तरजीह दी।
जब मैं कुछ पतियों से पूछा कि टीवी सीरियलों एवं क्राइम रिर्पोटों को देखने के बाद आपके पत्नियों में क्या परिवर्तन आया है। तो उन्होंने कहा अजी मत पूछो वे पहले से ज्यादा संग्राम प्रिय हो गई हैं। वे फिल्मी स्टाइल में हमें डराती धमकाती हैं।
जब मैं रोड़छाप एक्सपर्ट से इस विड्ढय पर उनकी राय जाननी चाही तो वे क्राइम रिर्पोट के कई फायदे गिनाए। जैसे अगर किसी को डरने की बीमारी है तो वह टीवी पर क्राइम रिर्पोट अवष्य देखें क्योंकि एक से एक भयानक दृष्य देखकर मन से डर निकल जाएगा।
जहां तक मेरे बाइट का सवाल है तो मुझे क्राइम रिर्पोट को देखकर लगा कि समाज से संवेदना अभी मरी नहीं है। क्राइम रिर्पोट बांचने वाले भाईजी काफी हमदर्द लग रहे थे। वे लोगों का इतना सावधान करा रहे थे कि अगर आप उसपर पूरा अमल करें तो घर से निकलना बंद कर देंगे। इसके अलावे मुझे लगा कि उनसे दूसरों का दुख दर्द देखा नहीं जाता। तभी दो क्राइम रिर्पोट को लोगों के सामने ग्लेमराइज करके प्रस्तुत कर रहे थे।
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