मेरा दावा है कि पहले जमाने में देशभक्त उतना नहीं थे कि जितना आज हैं। मेरा यह भी मानना है कि देश कि सेवा के लिए नेता बनना बहुत जरूरी है। नेता बने बिना देश की सेवा नहीं हो सकती। कारण की कुछ करने के लिए पावर की आवश्यकता है। बिना पावर सब सुना। कहा भी कहा गया है क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो। आज देशवासी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं। यहीं कारण है कि आज नेता बनने केे लिये वैध- अवैध सारे हथकंडों को अपनाया जाता है। मारा-मारी की जाती है। कींचड़ उछालने से भी परहेज नहीं किया जाता है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में इसका सीधा प्रसारण देखा जा सकता है। लोकतंत्र के इस महापर्व में वह सबकुछ हो रहा है जो आनेवाले दिनों में लोकतंत्र का मान बढ़ाएगा। यानी नेतागण स्वस्थ एवं सालीन लहजे में अपनी बातें रख रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप में भी शिष्टता का पूरा ख्याल कर रहेे हैं। चुनावी सरगर्मी परवान चढ़ने के बावजूद पूरे धैर्य धारण किये हुए हैं। मारन मोहन एवं उच्चाटन के भी खूब प्रयोग हो रहे हैंैं। कोई किसी को श्रा्रप दे रहा है तो कोई किसी को आर्शीवाद। हालांकि अभी शुरूआत है। क्लाइमेक्स के लिए आपको कुछ दिन इंतजार करना होगा।
हाथ से फिसल न जाए इसके लिए नेताजी ने श्रम विभाजन का पूरा ख्याल कर रखा है। अभी से सबका दायित्व सौंप दिया गया है। नेताजी के नजर में चुनाव जीतने के लिए जनता का वोट जितना जरूरी है उतना हीं भगवान की कृपा भी जरूरी है। नेताजी के पास जनता को मनाने के साथ-साथ भगवान को भी मनाने की पूरी योजना है। जनता को मनाने का जिम्मा जहां नेताजी ने अपने विश्वासपात्रों को दे रखा है वहीं भगवान को मनाने का जिम्मा उन्होंने अपने पत्नी को दिया है। नेताजी की धर्मपत्नी अपने इस काम में मुस्तैदी से लगी हुई हैं। उनका सप्ताह का आधा दिन व्रत में गुजर रहा हैं तो आधा दिन पंडितजी के साथ विचार- विमर्श करने में। भगवान का भाव भी चुनाव के वक्त सातवें आसमान पर है। जहां पहले वह लड्डू एवं पंेड़ा पर प्रसन्न हो जाया करते थे। वहीं अब अनुष्ठान से नीचे पर बात नहीं बन रही है। पंडितजी ने स्पष्ट चेतावनी दे रखी है कि अगर विरोधी दल के नेता ने अधिक चढ़ावा चढ़ा दिया या बड़ा अनुष्ठान करा दिया तो जीत की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। नेतागण भगवान को यह कहने का मौका नहीं देना चाहते कि दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय। इसलिए सालभर पहले से हीं उनका पूजा पाठ शुरू कर दिया गया है।
ऐसा नहीं कि भगवान से केवल प्रार्थना नेतागण हीं कर रहे हैं। जनता भी खूब भगवान को धन्यवाद दे रही है। कारण कि इनदिनों वहां खूब सदाव्रत लुटाया जा रहा है। जनता की पूछ इतनी बढ़ गई है कि लोग भगवान से रोज चुनवा कराने की प्रार्थना कर रहे हैं। ताकि लोगों की पूछ इसी तरह बनी रहे। जनता की इतनी पूछ तो रामराज्य में भी नहीं हुई होगी।
जनता के जीवन में इतनी खुशहाली शायद हीं पहले कभी आया हो। मुफ्त रैली में भाग लेकर शहर घुमने का अवसर तो मिल हीं रहा है। साथ में जयाप्रदा आजम खां संवाद सुनकर मनोरंजन करने मौका भी भरपूर मिल रहा है। इसके पहले आजम खां - अमर सिंह संवाद सुनकर लोगों ने अपना मनोरंजन किया था। पहले भी लोग अंगद- रावण संवाद, लक्ष्मण-प्रशुराम संवाद से लोग परिचित रहे हैं। लेकिन यूपी में हो रहे संवादों के आगे सबकुछ फीका है।
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