शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

लोकतंत्र का यह हनन कैसा

जब सारा संसार हीं अपना है
तो बोलो डार्लिंग क्यों हमसे दूर सपना है
क्या तेरा समानता पर भाषण झूठा था।
क्या भोजन खिलाना पाप है जो भूखा था
सोंचो तो फिर क्यों तेरा मूड उसके प्रति रूखा है
सपना का जीवन तो अबतक था विरान रहा
जबतक उसे केवल अपने पति का प्यार मिला
जबतक मेरे और उसके बीच नहीं था कोई गुल खिला
जबतक मेरा और उसका नहीं था दिल मिला
क्या तेरे उपदेशों का मैंने किया अमल नहीं
क्या पूराने वसूलों से किया मैंने गमन नहीं
जरा सोंचो तो
तेरा पति जीवन में पहली बार कोई नेक काम कर रहा है
सपना को उसका हक दे रहा है
अब वह तेरे आदर्श पर चल रहा है
किसी दूसरे मर रहा है
तुम्हीं तो कहा करती थी
तुम नए जमाने की लड़की हो
शादी से पहले तुम खुलापन में रहा करती थी
जमाने का दबाव नहीं सहा करती थी
तुमने मुझसे भी चाहा था कि
तुम्हारा पति भीरू बने नहीं
जमाने से डरके रहे नहीं
फिर मेरे अधिकारों का दमन कैसा
लोकतंत्र का यह हनन कैसा
भला बताओ क्या मैं
21वीं सदी में संकीर्णता अपनाऊंगा
तो कंपटीशन में टिका रह पाऊंगा
हसीनाओं का दिल जीत पाऊंगा
जब आॅफीस में महिला को हीं बोस पाऊंगा
तब उसके सामने मैं कैसे धौंस दिखाऊंगा
उसके सामने जब मैं तैश दिखाऊंगा
तो बताओ भला कैसे मैं कैश पाऊंगा
फिर बिना पैसे का कैसे तुम्हें ऐश कराऊंगा।

तुमने मुझसे भी ऐसे हीं प्रीत लगाई थी
मेरे साथ आई लव यू गाई थी
और अपने पति को गम की धुन सुनाई थी
उस वक्त कहां तुम शर्मायी थी
फिर उसका मेरे साथ रहना
क्यों तुम्हें होता सहन नहीं
क्या सपना तेरी बहन नहीं
जब तुम्हारा तबादला यहां से दूर हो गया था
मैं दिल के हाथों मजबूर हो गया था
जानकर बेरोजगार मुझको
हसीनों के जलवे क्रूर हो गया था।
तभी एक दिन मुझसे सपना मिल गई
जाने किस पल मुझे अपना कर गई
वह भी अपने पति से उब चुकी
उसके साथ चारो धाम खुब कर चुकी थी
इनसान जो बोता है
वो वहीं तो पाता है
फिर काहें पछताता है
जरा याद करो
जब मैंने तुम्हे चुना था
तेरे साथ प्यार का ताना-बाना बुना था
जब मैने तेरे दिल पर डांका डाला था
उस समय तुमने मुझे वीरबांका कहा कहा था
जरा सोंचो तो तुमने भी तो मुझे पाने के लिए
अपने पहले पति को टाटा कहा था।
मेरे साथ जीने-मरने का वादा किया था
फिर मेरे साथ रहकर मेरा जीना दूभर किया था।
आज मैं तुमसे बाॅय-बाॅय कह रहा हूं।
तुम्हारा प्यार ममता को देकर
उसका दुख दूर कर रहा हूं।
सपना के साथ आई लव यू गा रहा हूं
यों न समझो कि नारी पर मैं कोई जुल्म कर रहा हूं
एक नारी के सपने को चूर कर रहा हूं
तुम्हे फैसला लेने को मजबूर कर रहा हूं
क्योंकि एक का हक छिनकर
मैं दूसरे का कष्ट दूर कर रहा हूं
और अन्तिम मौका मैं जरूर दे रहा हूं
आखिरी वक्त है फैसला कर लो
तुम्हें महाभारत करने की छूट दे रहा हूं।

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