न्यूज पेपर और टीवी वाले भी महान हैं। वे देश की जनता में ऐसी ऐसी बातें भर देते हैं कि लोग दिन में हीं सपने देखने को मजबूर हो जाते हैं। या फिर आंदोलन करने को उतारू हो जाते हैं। आखिर कितने लोग यह जानते थे कि रेलवे के मामले में 1970 तक भारत एवं चीन बराबर के स्तर पर थे। या अब भारत चीन से काफी पिछुड़ गया है। चीनी लोग अब बुलेट ट्रेन में बुलेट की रफ्तार से यात्रा करते हैं जबकी भारतीय रेलवे धीमी गति की समाचार हो चुकी हैं। चैनलों द्वारा फैलायी जा रही ऐसी अफवाहों का असर यह हो रहा कि देश में कुछ लोग बुलेट ट्रेन के धीमी प्रगती पर लाल पीले होनेे लगे हैं। वे यह सुनकर परेशान हैं कि चीन ने हमसे काफी अधिक प्रगति कर ली है। और वहां के लोग बुलेट ट्रेन पर तेज गति से सफर का लुत्फ उठा रहे हैं। जो लोग बुलेट ट्रेन पर चढ़ने के लिए उतावले हो रहे हैं वे इसके नफा-नुकसान को नहीं जानते। ज्योहीं वे इसके नफा-नुकसान को समझ जाएंगे। बुलेट ट्रेन पर चढ़ने के जिद्द को छोड़ देगें। ऐसी आशा वे हीं लोग कर रहे हैं जिनकी समझदारी अभी विकसित नहीं हुई हैं। आप कहेंगे कि हम बड़े हो गए हैं जी हमारे समझदारी पर सवाल मत उठाओ। इसपर मेरा कहना है कि बच्चे भी अपने को बड़ा कहते हैं पर वे कहने से बड़ा थोड़े हो जाते हैं। आखिर लोग यह क्यों नहीं जानते कि देश में लोकतंत्र है और यहां नेतागण हर फेसले लोकहित में लेते हैंे। हमारे देश के नेता देश की जनता की जान को खतरे में नहीं डालना चाहते हैं। इसलिए वे जनबूझकर बुलेट ट्रेन को पटरी से उतार दिए हैं। वे जानते हैं कि जनता अक्सर कल्पना लोक में विचरण करने लगती है। जो उसके सेहत के लिए ठीक नहीं है। जनता को धरातल पर लाना तो राजनेताओं का काम हैं । वे अक्सर उनके ख्वाबों को चूर-चूर कर उनको धरातल पर पटक देते हैं। नेता जनता की जब इतना भी भला नहीं सोंचेगे तो जनता का वोट देना तो व्यर्थ हीं कहा जाएगा न। नेता जानते हैं कि सावधानी हटी को दुर्घटना घटी। देश में सर्वाधिक घटनाओं का कारण वाहन का तीव्र गति से होना है। आपने सार्वजनीक जगहों जगह-जगह लगे ऐसे चेतावनी देते बोर्डों को देखा होगा। आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा तब चीन क्यों बुलेट ट्रेने चला रहा है। भाई वहां लोकतंत्र नहीं है। वहां की सरकार जनता के हित में फैसले थोड़े लेती है। वह उन्हें बुलेट ट्रेन पर चढ़ाकर मार देना चाहती है। सुना है अपने बिहार के मुख्यमंत्री इन दिनों चीनी रंगों में रंग गए हैं। वे अपनी चीन यात्रा के बाद चीन से इनता प्रभावित हुए हैं कि हर जगह चीन की डायरी लेकर बैठ जाते हैं। अक्सर उनको अधिकारियों से यह कहते हुए सुना जा रहा है कि चीन में ऐसा होता है चीन में वैसा होता है। चीन के किसान ऐसे खेती करते हैं चीन के किसान वैसे खेती करते हैं। भाई हम तो चीन गये हीं नहीं हैं तो हम क्या जानते हैं कि चीन में क्या होता है। घुमाओ तो जाने। नही ंतो हम यहीं न समझेंगे की चीन में आपकी आवाभगत कुछ ज्यादा हो गई। जिसको आप भुला नहीं पा रहे हैं।
विकास कराया तो क्या किया
अपराध मिटाया तो क्या किया
चीन घुमाओ तो जाने
बुलेट ट्रेन पर बैठाओ तो जाने
विकास पुरूष हम तुमको तब मानंू।
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