मंगलवार, 24 मई 2011

नेताओं को माल जबतक मिलता रहेगा

देष तबतक चलता रहेगा
नेताओं को माल जबतक मिलता रहेगा
हिंसा का तांडव जबतक होता रहेगा
भ्रष्टाचार जबतक करवट बदलता रहेगा
किसान जब तक मरता रहेगा
मजदूर का जबतक पिसान निकलता रहेगा
दलाल जबतक फलता रहेगा
बहु-बेटियों पर किंचड़ उछलता रहेगा
लफुआ लफुआगिरी करता रहेगा
बेमतलब का पंगा होता रहेगा
देष के किसी कोने में दंगा होता रहेगा
पड़ोसी-पड़ोसी से जलता रहेगा
भाई-भाई से बैर करता रहेगा
आम आदमी सत्य कहने से डरता रहेगा
सत्य का सूरज जबतक ढलता रहेगा
और देष द्रोही जबतक देष में पलता रहेगा
घर में बीबी का हूकूमत चलता रहेगा
पति पत्नी का हर पल जीहजूरी करता रहेगा
सुनके आवाज उसकी डरता रहेगा

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