शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

बन गया भगवान मै अपने भक्तों का देखकर दुःख

बन गया भगवान मै अपने  भक्तों का देखकर दुःख 
आचार  एवं विचार में असमानता की
  मेरे भक्तों को अब रहेगी छूट 
घूम- घूमकर बोलो तुम सारे जग में झूठ 
भक्त बनने मेरा तुम्हे मिलेगा 
 जग को लूटने की जीभरकर छूट  
आदर्शवादी  बनने से
 तेरे भाग्य जायेंगे तुझसे रूठ 
बनकर बहुरुपिया तू  भोले- भालों पर टूट 
गिरगिट की तरह रंग बदलो 
और बन जाओ आले दर्जे का धूर्त 
मानव  जन्म को सार्थक कर ले  रे मानव मूर्ख 

5 टिप्‍पणियां:

  1. और बन जाओ आले दर्जे का धूर्त
    मानव जन्म को सार्थक कर ले रे मानव मूर्ख

    तिवारी जी,कभी मेरे पोस्ट में भी तो आइये ....स्वागत है
    मै तो आपका समर्थक पहले से हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,...

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

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  2. बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //

    मै तो आपका समर्थक पहले से हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,

    पोस्ट में आने के लिए आभार

    MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

    जवाब देंहटाएं