तुमने बालों को जब गालों पे लहराया होगा ।
तेरा रूप देख चांद भी सरमाया होगा
तुम समझती हो कि उसे मैंने उकसाया होगा।
बात मानो उसे देख के नषा छाया होगा।
तेरा रूप देख चांद भी सरमाया होगा
तुम समझती हो कि उसे मैंने उकसाया होगा।
बात मानो उसे देख के नषा छाया होगा।
nice lines
जवाब देंहटाएंaap bach gaye kya?
जवाब देंहटाएंnice poetry.
Bahut panktiyan!
जवाब देंहटाएंये नषा कौन सा नशा होता है गोपाल जी.
जवाब देंहटाएंअनामिका जी के प्रश्न का भी उत्तर दीजियेगा जी.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंगोपाल जी,.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना..उकसाया होगा से "होगा.हटा दे तो...ठीक रहेगा...
मेरी नई रचना....नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,
में आपका इंतजार है.....