बुधवार, 19 जनवरी 2011

लवगुरू

गुरू घंटालजी अपने देष के जाने-माने लवगुरू हैं। वे टीवी पर अक्सर प्रवचन सुनाया करते हैं। उनके बारे में यह प्रसिद्ध है कि वे प्रेमी युगलों में ऐसा जोष भरते हैं कि वे अपना होष खो देते हैं। वे अपने प्यार के लिए हंसते-हंसते जूते खा लेते हैं। हां ऐसी चमत्कारी टिप्स देने के लिए गुरू घंटालजी को भी जूते खाने पड़े हैं। लेकिन गुरूघंटालजी क्या करें जमाना तो नेकी का तो रहा नहीं।
अब थोड़ा हम उनके अनुभव के बारे में बताते हैं। उन्हे यवती से लेकर आंटी तक को पटाने का अनुभव प्राप्त है। उन्हें 101 को भगाने एवं बाद में षादी रचाने का अनुभव प्राप्त है। षुरू में जब वे लवगुरू के रूप में करियर बनाने के लिए संघर्शरत थे तो कुछ दुखी आत्माओं ने उन्हें सहारा दिया था। अब वे दुखी आत्माओं को सहारा दे रहे हैं। अबतो उनके व्यस्तता का आलम यह है कि उन्हें लघु एवं दीर्घ षंकाओं की भी फुर्सत नहीं है। इसके लिए भी उन्होंने आदमी रख लिए हैं।

गुरूघंटालजी के पास लव टिप्स लेनेवालों का मजमा लगा रहता है। मैं भी उनकी प्रषि़द्धी को सुनकर एक दिन लव टिप्स लेने पहुंचा। संयोग से जिस लड़की पर मै एक तरफा दिल फेंक चुका था। उसका वह पिता निकले। मैने अपनी समस्या उनको कह सुनायी। और कहा कि मुझे आपकी लड़की से प्यार हो गया है बताईए वह कैसे पटेगी। मेरी बात को सनने के बाद पहले तो वह अचकचाए फिर गुराये फिर षर्माये फिर लाईन पर आए। और कहा कि गुरू क्यों तुम मझे चुना लगाने पर तुले हुऐ हो। क्या दुनिया में लड़कियों का अकाल पड़ गया है।उन्होंन फिरे मुझपर नजर गड़ायी। और कहना षुरू किया कि मेरी बेटी को पटाने को तुम जानते हो अंजाम। मैने कहा कि तुम लवगुरू हो या षैतान। इससे पहले कि वे अपने कत्र्तव्य पथ से च्युत हो जाएं मैने उनको वीर रस की तीन चार कविताएं सुना डाली। मैने कहा कि देखो तुम एक प्रफेषनल हो और बेटी के मामले में इमोषनल मत बनो वर्ना दुनियां तुम्हे कायर के रूप में जानेगी। यादकरो भगवान श्रीकृश्ण ने गीता में क्या कहा था। उन्होंने कहा था कि तुम कर्मों का कर्ता नहीं हो। हे लवगुरू इस समय तुम अगर मोहग्रस्त हुए तो अपयष का भागी बनोगे ।दुनियां तुम्हे कायर समझेगी। इस समय टिप्स बताना हीं तुम्हारा कत्र्तव्य है। मेरे उपदेष का उनपर असर दिखा और वे ताव में आ गये और लगे टिप्स बताने। उन्होंने कहना षुरू किया कि अगर तुम खाना बनाने में सिद्धस्त हो तो समझो होने वाले मस्त हो। कारण कि मेरी बेटी अपने मां से थोडा अधिक चटोर है। तुम्हे मेरे घर रसोईया बनकर जाना होगा और दमाद का प्रमोषन पाना होगा। और एक बात तुम्हे बता दूं मेरे पाक कला के चलते हीे मेरी बीवी आज भी मेरी बीवी है वर्ना अबतक किसी रसांेईये के साथ रफू चक्कर हो गई होती। उन्होने मुझे हिदायत दी की तुम मुझसे ज्यादा अच्छा खाना मत बनाना वर्ना मां- बेटी दोनो गले पड़ जाएंगी। फिर तो तुम्हें लेने के देने पड़ जाएंगे।
फिर उन्होने मुझसे पुछा बताओ तुम्हे मार खाने का अनुभव प्राप्त है। क्योंकी मेरी बेटी कभी-कभी अपना आपा खो देती है और सामने वाले पर टूट पड़ति है। मैने उन्हें आष्वष्त करते हुए कीा चिन्ता न करें मैं आले दर्जे का लतखोर हूॅं। उन्होंने कहा कि फिर कल से घर चले आओ मेरे घर में रसोईए की जगह खाली है। हां थोड़ा सावधान रहना क्यों कि सावधानी हटी की दुर्घटना घटी।

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