शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

कही आपको मोबैलिया तो नहीं

रविवार का दिन था | मै नींद में चैन की वंशी बजा रहा था| तभी पत्नी की दहाड़ती आवाज सारा मजा किरकिरा कर गयी | हालाकि पत्नी ने मुझे प्रेम से पुकारा था लेकिन उसकी मधुर वाणी भी भूमंडल को कंपाने के लिए काफी थी | वो अक्सर इसी प्रकार प्रेम से मुझे बुलाती थी जिसे सुनकर पशुपक्षी की भी रूह कांप जाती थी एवं मुहल्ले वाले घर में दुबक जाते थे | वैसे मुझे उसकी पति होने का एक फायदा हुआ था की कोई माई का लाल मेरी ओर आँख उठाकर नहीं देख सकता था | हाँ तो मै बात कर रहा था प्यार से उसके बुलाने की मै उस दिन पत्नी की बात सुनकर भी अनसुना कर दिया और बिस्तर पर पड़ा रहा | लेकिन कुछ देर बाद वहीं मधुर ध्वनि मेरे मन मष्तिक में गूंजी | अजी सुनते हो तुम्हारे निठ्ठले दोस्तों का आगमन होना शुरू हो गया है | मैंने नाराज होते हुए कहा की अरे भाग्यवान तुम क्यों सुबह सुबह नीद ख़राब करती हो| क्या सुबह सुबह तुम्हे यही काम बचा है || उसने झुझलाते हुए कहा की नीद ख़राब कर रहे हैं तुम्हारे दोस्त मुझपे क्यों नाहक बिगड़ते हो | वैसे तो पत्नी के आगे मेरे बोलती बंद हो जाती थी क्योंकि उसके हड़ताल पर जाने का भय मुझे हमेशा सताता रहता था| लेकिन उस दिन मैंने हिम्मत करके प्रतिरोध कर हीं दिया था | विगत में कई बार वह अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चली गयी थी जिसे समाप्त कराने के लिए मुझे सासु माँ से हस्तक्षेप करने के लिए आग्रह करना पड़ा था | साली को रेस्त्तुरेंट में खाना खिलाना पड़ा था और पिक्चर दिखाना पड़ा था | हालाकि पिक्चर दिखाना मेरे लिए सजा नहीं मजा की बात थी | लेकिन श्रीमतीजी को खुफिया कैमरे के तैनात होने का भय मुझे हमेशा सताता रहता था| | मै अब जागकर पत्नी के सामने हाजिर हो गया और पूछा कौन आया है भाग्यवान| श्रीमान सक्सेनाजी महाराज व्यंग्य पूर्ण ढंग से उसने जबाब दिया | मैंने उसे समझाते हुए कहा देखो शांति तुम्हे घर में इस तरह अशांति नहीं फैलानी चाहिए तुम्हे घर आये मेहमानों से अच्छे ढंग से बात करना चाहिए आखिर वे तुम्हारे पति परमेश्वर के मित्र है | और कुछ नहीं तो अपने नाम का ख्याल करो | अतिथि देवता तुल्य होता है| क्या इसकी शिक्षा तुम्हारे मायके वालों ने नहीं दी है | देखोजी मेरे मैकेवालों पर मत जाओ वरना ठीक नहीं होगा उसने रौद्र रूप धारण करते हुए पलटवार किया | मै तुरंत डैमेज कण्ट्रोल की मुद्रा में आगया और कहा डार्लिंग मेरे कहने का आशय वो नहीं था जो तुमने समझा तुम और तुम्हारे मैकेवाले तो मेरे आदर्श हैं भला मेरी ऐसी मजाल कहाँ की उनके बारे में बुरा सोंचने की हिम्मत कर सकूँ | यारों आखिर मै डैमेज कण्ट्रोल में आता क्यों नहीं अगर गुस्से में आकर कहीं उसका मैके गमन हो जाता तो चूल्हा - चौका तो मुझे हीं करना पड़ता| आप करने तो आते नहीं | मैंने मनुहार करते हुए कहा शांति तुम क्यों वेवजह अशांति फैलारही हो क्या तुम्हे इस बात का गर्व नहीं की तुम्हारे पति के आगे- पीछे आठ दस लोग चक्कर लगाते फिरते हैं क्यों नहीं क्यों नहीं तुम माधुरी दीक्षित जो हो माधुरी दीक्षित सही तेरा सलमान खान तो हूँ हीं | यह कहते हुए सीधे वहां से चला गया जहाँ सक्सेना जीछोभ मुद्रा में विराजमान थे | देखते ही लगा हो हो सक्सेना फिर देश प्रेम का दौरा पड़ा है उसे जब भी देश दुनिया की चिंता सताती वह इसी योगमुद्रा में दिखाई देता | मैंने पूछा यार सक्सेना क्या हुआ है तुमने यह रोनी सूरत एवं डोलती मूरत क्यों बना रखी है| भाभी जी तो ठीक है | भाभी जी को क्या हुआ है वो तो पचपन की उम्र में पच्चीस लग रही हैं| ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ रही त्यों त्यों जवान होती जा रही हैं | उसने टपाक से जबाब दिया | मैंने कहा यार तुम्हे तो खुश होना चाहिए बुढ़ापे में भी जवानी का मजा ले रहे हो | उन्होंने कहा की तुम्हे मजाक सूझ रहा है और इधर मेरी जान निकल रही है | आखिर क्या हुआ है कुछ तो बताओगे भी मैंने झुंझलाते हुए पूछा | यार मोबैलिया वायरस देश में तेजी से पैर पसार रहा है| मेरा दिल धक् से कर गया डेंगू राष्टमंडल खेल को चूना लगाने के लिए क्या कम था जो मोबिलिया गया | सक्सेना के बात पर अविश्वास भी नहीं किया जा सकता क्योंकि अबतक के उसके सारे ब्रेकिंग न्यूज़ सही निकले थे | जारी ....

1 टिप्पणी:

  1. यार मोबैलिया वायरस देश में तेजी से पैर पसार रहा है| दिल धक् से कर गया डेंगू राष्टमंडल खेल को चूना लगाने के लिए क्या कम था जो मोबिलिया आ गया | सक्सेना के बात पर अविश्वास भी नहीं किया जा सकता क्योंकि अबतक के उसके सारे ब्रेकिंग न्यूज़ सही निकले थे |

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