सोमवार, 6 सितंबर 2010

देश की नई उपलव्धि

राष्ट्र मंडल खेल शुरू होने से पहले देश ने एक नई उपलब्धि अपने नाम कर ली | वह है दुनिया के भ्रष्टतम देश के क्लब में अपने ख़िताब बचाए रखने का| देश विकास के क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ने के साथ -साथ भ्रष्टाचार के क्षेत्र में भी अपना नए कीर्तिमान बनाता जा रहा है | जब देश में नेताओं एवं अधिकारियों की गठबंधन सरकर कायम रहेगी देश से यह उपलब्धि कोई माई का लाल नहीं छीन सकता है| हालाँकि पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान हमें इस क्षेत्र में कड़ी टक्कर दे रहा है| लेकिन आशा है देश अपनी इस उपलब्धि को जल्दी खोने नहीं देगा| कुच्छ लोग भ्रष्टाचार को देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा मानते हैं लेकिन मेरा अनुभव ठीक इसके विपरीत रहा है| मेरा मानना है की भ्रष्टाचार को वगैर बढ़ावा दिए देश प्रगति नहीं कर सकता है | इसका उदहारण आप गाँव - गिरांव में भी देख सकते हैं जो लोग जितना भ्रष्ट हैं उतने हीं सुखी संपन्न हैं | और जो जितना ईमानदार उतना हीं लाचार एवं बेवस | कालाबाजारी एवं भ्रष्टाचारी जब फल-फूल सकते हैं तो विकास एवं भ्रष्टाचार में विरोध कैसा ? दूसरी बात यह है की जब व्यक्ति भ्रष्टाचार के माध्यम से तरक्की कर सकता है तो देश क्यों नहीं? पडोसी राष्ट्र आतंकवाद के विश्वव्यापी एक्सपोर्ट में मिली ख्यात के बल पर अगुवा बननेका प्रयास कर रहा है लेकिन आशा है हमें देश में भ्रष्टाचार क्षेत्र के महारथी उसके मंसूबे को सफल नहीं होने देंगे| हाँ तो मै बात कर रहा था राष्ट्रमंडल खेलों का लेकिन भ्रष्टाचार विरोधियों ने मुझे विषयांतर कर दिया | इस बीच सरकार ने राष्ट्रमंडल खेल के निर्माण कार्य में हुई धांधली पर दो गाड़ी चिंता व्यक्त की है | और मंत्रियों एवं संतरियों से कहा है की राष्ट्रमंडल खेल तक आरोप- प्रत्यारोप का नया दौर शुरू कर दें | ताकि जनता दूध का दूध एवं पानी का पानी कर सके एवं राष्ट्रमंडल खेल भी ठीक ढंग से संपन्न हो सके| मेरा मानना है की सरकार को चिंतित होने दें वह इसी तरह वक्त- बेवक्त चिंतित होती है| आखिर वह किसी के घर खाना पहुँचाने तो जाती नहीं | फिर उपलब्ध अवसर का फायदा उठाने से रोकने का उसे क्या हक़ है |

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