रविवार, 5 सितंबर 2010

नेताजी के इमेज बिल्डिंग का ठेका

बिहार में चुनाव के साथ हीं इवेंट एवं एड कंपनियों की भी पौबारह हो गयी है | पोस्टर एवं फ़िल्म बनाने से लेकर इन कंपनियों ने नेताजी के इमेज बिल्डिंग का भी ठेका ले रखा है| वैसे हमारे क्षेत्र के नेताजी के चेहरे पर चिंता की जगह मुस्कान तैर रही है | मानो अभी - अभी वे शादी किये हों और बीवी देखकर फूले न समां रहे हों | इनदिनों बच्चों को देखकर उनके ह्रदय में ममता उमड़ पड़ती है | उनके हांथ बरबस उन्हें प्यार करने के लिए उठ जाते हैं| धीर -गंभीर चेहरे पर खेलती मुस्कान लोगों को पशोपेश में डाल रही है | ऐसे समय में जब और नेताओं की रातो की नीद हराम है | हमारे नेताजी मानो चुनाव पहले जीत चुके हों | दरअसल नेताजी के स्वभाव में यह परिवर्तन एक विज्ञापन एजेंसी से जुड़ने के साथ शुरू हुआ है| विज्ञापन एजेंसी ने उनके इमेज बिल्डिंग का ठेका ले रखा है| एजेंसी ने नेताजी को सलाह दी है कि भलेहीं कोमलता उनके स्वाभाव का अंग न हो | लेकिन नेता बने रहने के लिए कोमलता धारण करना बहुत जरुरी है| बहुत से नेता जो अन्दर से सरल एवं सीधे -साधे दीखते है क्या अन्दर से वे उतने सरल एवं सीधे होते हैं | विज्ञापन एजेंसी का यह भी कहना है की नेता बने रहने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलना भी जरुरी है | कहावत भी है जहाँ जैसा तहां वैसा नहीं तो नेता कैसा| विज्ञापन एजेंसी के अधिकतर सुझाव को नेता जी ने स्वीकार कर लिया है | क्योंकि इसके लिए नेताजी को छोड़ना बहुत कुछ नहीं है| अगर विज्ञापन एजेंसी कहती की शराब पीना छोड़ दो तो मुश्किल हो सकती थी | लेकिन भला विज्ञापन एजेंसी किस मुंह से नेताजी को शराब पीने से मना करती क्या जनता शराब नहीं पीती| हाँ विज्ञापन एजेंसी का इतना ही कहना है पीयो मगर कोका एवं पेप्सी के बोतल में | जिससे लगे की नेताजी ठंढा पी रहे हैं | हाँ रामदेवजी के शिष्य जहाँ हों वहां पेप्सी एवं कोला के बोतल में कदापि न पीयें वर्ना आपकी लोकप्रियता पाताल लोक को छू सकती है | वहां आंवला एवं एलेवेरा के बोतलों में भरकर काम चलाया जा सकता है | और कहा जा सकता हैं कि मेरी सेहत का राज भी आंवला एवं एलूवेरा में समाया हुआ है| वैसे भी दवा एवं दारू में निकट का सम्बन्ध माना गया है| विज्ञापन एजेंसी ने नेताजी को हिदायत दी है कि वे सार्वजानिक स्थान पर शराब कदापि न पीयें वरना जनता उनको शराबी समझ सकती है| हाँ घर आकर दो के बदले चार बोतल पी सकतें हैं | विज्ञापन एजेंसी ने नेताजी को सार्वजानिक स्थान पर क्रोध नहीं करने की भी सलाह दी है | क्योंकि इसका नकारात्मक प्रभाव लोगों पर पड़ सकता है | अगर कोई गाली भी सुनाये तो उसे तरकारी समझकर स्वीकार कर लीजिये | गाली सुनते वक्त ऐसा हाव-भाव बनाईये जैसे गाली सुनना आपकी आदत में सुमार हो | हाँ बाद में गाली देने वाले को आप ठिकाने लगा सकते हैं| विज्ञापन एजेंसी का यह भी कहना है की नेताजी के अवैध कामो से उसे ऐतराज नहीं है | हाँ इसका पता किसी को कानोकान नहीं होनी चाहिए|

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