रविवार, 11 दिसंबर 2011

तेरा रूप देख चांद भी सरमाया होगा

तुमने बालों को जब गालों पे लहराया होगा ।
तेरा रूप देख चांद भी सरमाया होगा
तुम समझती हो कि उसे मैंने उकसाया होगा।
बात मानो उसे देख के नषा छाया होगा।

6 टिप्‍पणियां:

  1. ये नषा कौन सा नशा होता है गोपाल जी.
    अनामिका जी के प्रश्न का भी उत्तर दीजियेगा जी.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  2. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति है आपकी.

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  3. गोपाल जी,.
    बहुत सुंदर रचना..उकसाया होगा से "होगा.हटा दे तो...ठीक रहेगा...

    मेरी नई रचना....नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
    देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
    इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
    इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,

    में आपका इंतजार है.....

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