चुनाव के माध्यम
से जनता
केवल अपनी
मनपसंद सरकार
का चुनाव
हीं नहीं
करती है,
बल्कि अपना
रचनात्मक विकास
भी करती
है। इस
दौरान नेताओं
का भी
रचनात्मक विकास
होता है। माननीय
सदस्यगण चुनाव
के वक्त
कुछ अलग
करने को
सोचते हैं,
और लक्ष्य
को हासिल
करने के
लिए अपनी
सारी उर्जा
लगा देते
हैं। यह
समय भारतीय
संगीत के
विकास का
भी स्वर्णीमकाल
माना जाता
है, क्योंकि
इस दौरान
भारतीय संगीत
का खूब
विकास होता
है। यह
वह काल
है जिस
दौरान विविध
रागों का
जन्म होता
है। भारतीय
संगीत को
समृद्व करने
में चुनाव
का योगदान
सराहनीय है।
नेतागण इस
समय विविध
रागों का
गायन करते
हैं। इस
प्रकार वे
जनता को
अपने मधुर
गायन द्वारा
स्वस्थ मनोरंजन
प्रदान करते
हैं। देष
में संगीत
एवं कला
को पर्याप्त
महत्व दिया
जाता है।
षास्त्रीय संगीत के रूप में
देष में
संगीत की
बहुत बड़ी
विरासत रही
है। अनेको
रागों का
जन्म इस
धरती पर
हुआ है,
जिसमें से
अधिकांष रागों
का जन्म
मेरे अनुसार
चुनावों के
दौरान हीं
हुआ होगा।
उत्तर प्रदेष चुनाव
के दौरान
भी विविध
रागों की
खोज एवं
गायन हुआ।
इस चुनाव
में सर्वाधिक
चर्चित राग
बटलाहाउस इनकांउटर
राग रहा।
इस राग
की खोज
का श्रेय
कांग्रेस के
नेताओं को
जाता है। पार्टी
के प्रमुख
नेताओं ने
इस राग
का गायन
उत्तर प्रदेष
चुनाव के
दौरान पूरे
मनोयोग से
किया। पार्टी
नेताओं का
मानना है
कि इस
राग के
गायन से
मुस्लिम वर्ग
भाव विभोर
हो जाता
है, और
जमकर पार्टी
के पक्ष
में मतदान
करता है।
पार्टी का
मानना है
कि हर
राग का
एक निष्चित
प्रभाव होता
है। रागों
के प्रभाव
से दीपक
तक जल
जाता है,
फिर रागों
के द्वारा
जनता को
मतिभ्रम करना
और अपने
पक्ष में
मतदान कराना
कोई मुष्किल
काम नहीं
है। पार्टी
का मानना
है कि
बटलाहाउस इनकांउटर
राग का
प्रभाव मुस्लिम
वर्ग पर
खूब पड़ेगा।
पार्टी का
दावा कितना
सही है
इसका पता
तो चुनाव
परिणाम बाद
चलेगा। लेकिन
सभी पार्टियां
अपने राग
को श्रेष्ठ
बता रही
हैं अपने
राग का
प्रभाव जनता
पर सर्वाधिक
होने का
दावा कर
रही हैं।
बटलाहाउस इनकांउटर राग
को लोकप्रिय
बनाने का
श्रेय दिग्गिराजा
एवं सलमान
खुर्षीद जैसेे
बड़े नेताओं
को जाता
है। इस
राग के
बारे में
कहा जाता
है कि
यह एक
गम प्रधान
राग है।
जो चुनाव
के वक्त
नेताओं का
रागयुक्त कर
देता है।
इस राग
को गानेवाला
इतना भाव
प्रधान हो
जाता है
कि वह
अपने पराये
का भेद
भूल जाता
है। दिग्गिराजा
भी आजमगढ़
में इस
राग को
गाते वक्त
इतना भाव
विभोर हो
गए थेे
कि अपने
हीं पार्टी
के प्रधानमंत्री
एवं एवं
गृहमंत्री को कटघरे में
खड़ा कर
दिए थे।
वैसे अक्सर
वे कोई
न कोई
राग गाते
रहते हैं
और गाते
-गाते भाव
विभोर भी
हो जाते
हैं।
इस राग
के बारे
में कहा
जाता है
कि इसको
सूनने वाले
के ऑखों
से गंगा-जमुना की
धारा बह
निकलती है।
सलमान खुर्षीद
का दावा
है कि
इस राग
ने पार्टी
अध्यक्ष को
रोने को
विवष कर
दिया था।
हालंाकि इस
राग के
विरोधियों का कहना है कि
इस राग
का प्रभाव
व्यापक नहीं
होता है।
इसका प्रभाव
एक वर्ग
विषेड्ढ पर
आंषिक होता
है। कुछ
पर तो
इस राग
का साइड
इफेक्ट भी
देखा जा
रहा है। इस राग के
विरोधियों का एक वर्ग का
कहना है
कि इस
राग की
सबसे बड़ी
कमी यह
है कि
इसे चुनाव
जैसे उत्सव
के वक्त
हीं गाया
जा सकता
है। साथ
हीं यह
राग एक
वर्ग विषेड्ढ
को प्रभावित
करने की
हीं क्षमता
रखता है,
सबको नहीं।
यद्यपि दूसरे
दल भी
इससे मिलते-जुलते राग
गाते हैं।
बटलाहाउस राग
का गायन
समाजवादी पार्टी
भी जानती
है। लेकिन
इस राग
के गायन
में इस
चुनाव में
वह पिछड़
चुकी है।
भारतीय जनता
पार्टी को
छोड़कर सभी
पार्टियों नेे इससे मिलते-जुलते
राग की
खोज कर
रखी हैै।
और सभी
अपने अपने
राग का
गायन जोर-षोर से
चुनाव के
वक्त करे
रही हैं।
भाजपा का
राग कांग्रेस,
बसपा एवं
समाजवादी पार्टी
से एकदम
भिन्न है।
राममंदिर निर्माण
राग एवं
बांग्लादेषी घुसपैठी राग पार्टी का
प्रमुख राग
है। इन
रागों की
खोज पार्टी
द्वारा बहुत
पहले कर
ली गई
थी। और
हर चुनाव
में पार्टी
इसका हीं
गायन करती
है। विरोधियों
का कहना
है कि
इस राम
मंदिर निर्माण
राग को
सुनसुन कर
जनता बोर
हो चुकी
है। इसलिए
इस राग
के गायन
का प्रभाव
जनता पर
नहीं देखा
जा रहा
है। उनका
यह भी
कहना है
कि जनता
के प्रभावित
नहीं होने
का कारण
यह है
कि इस
राग के
गायन का
फल अबतक
नहीं मिला
है। और
दूसरी बात
यह है
कि बीजेपी
अपने षासन
काल में
इसका राग
का गायन
भूल जाती
है।
इस चुनाव में अन्ना एण्ड कंपनी भी एक राग गा रही है। वह घुम घुमकर लोकपाल नामक राग गा रही है। हालांकि इस राग का व्यापक प्रभाव लोगों में पहले देखा जा चुका है। देखना यह है कि यह राग चुनावों में वहीं प्रभाव छोड़ता है जो आंदोलनों के दौरान छोड़ा था।
दिग्विजय के बयान अविश्वसनीय है। उन्हें मुस्लिमों के तलवों के अलावा कुछ नहीं दिखता आजकल।
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapne ,bahut maja aaya padhkar
जवाब देंहटाएंविभिन्न 'राग' - चुलबुले व्यंग - वाह !!.
जवाब देंहटाएंव्यंगात्मक शैली बहुत बढ़िया लगी,....वाह....क्या बात है सुंदर आलेख
जवाब देंहटाएंगोपाल जी,आपका समर्थक बन गया हूँ,आप भी बने ताकि शीघ्रता से पोस्ट
पर आना जाना बना रहे ......
NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...
बहुत बेहतरीन और सार्थक रचना,
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण की ओर से होली की अग्रिम शुभकामनाएँ।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
वाह...वाह...वाह...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
Bahut sundar rachana aapko parnam
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