गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

नेताजी का गुस्सा

नेता नयन सुख को बात -बात पर गुस्सा आ रहा था। कभी बीवी पर गुस्सा उतारते तो कभी सेक्ररेटरी को हड़काते तो कभी चाय वाले से भींड़ आते। बाद में सॉरी कहकर सारी बातों का निपटारा करते। नेताजी को आष्चर्य हो रहा था कि बात-बात पर उन्हें गुस्सा का क्यों आ रहा है। उन्होंने पत्नि से अपनी समस्या कह सुनाई। पत्नि से समझाया कि देखिए आपका गुस्सा न तो कोई राष्ट्ीय समस्या है और न नहीं अंतराष्ट्ीय समस्या है जिसपर टीवी वाले चर्चा करेंगे और आपको लोकप्रियता मिलेगी। और न हीं आपके गुस्से से आपको कोई चुनाव लाभ मिलने जा रहा है। इसलिए मेरा तो मानना है कि आपको डॉक्टर की आवष्यकता है। उन्होंने उन्हें हिदायदत देते हुए कहा कि थोड़ा समझदारी से काम लो नही ंतो अपने गुस्से के चलते मेरे हाथों तो पिटोगे हीं बाहर भी पिट जाओगे। उन्होंने कहा कि अगर तुम बाहर पिटे तो मुझे मोर्चा संभालना पड़ेगा क्योंकि ऐसा नहीं करने पर मेरी इज्जत मिटटी में मिल जाएगी। फिर उन्होंने कहना जारी रखा कि देखो मुझे इन दिनों बुझा रहा है कि इन दिनों तुम नेता बनने के गुण खोते जा रहे हो।  कारण कि तुम दबाव एकदम नहीं सहन कर पा रहे हो। जब तुमसे थोड़ा सा दबाव सहन नहीं होता तो घोटाले का दबाव कैसे सह पाओगे। तिहाड़ यात्रा का दबाव कैसे सह पाओगे।
पत्नी के उपदेष का उनपर असर दिखा और वे डॉक्टर के पास जाने के लिए तैयार हो गए। डॉं ने उन्हें गौर से देखा और कहा कि आपके चेहरे पर दबाव की स्पष्ट रेखा दिखाई देती है कहीं आप नैतिकता पालन का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं। फिर डॉक्टर ने उनकी धर्मपत्नी से कहा कि आपके पति स्वच्छन्दता में जीने के आदि रहे हैं। और लगता है कि चुनाव आयोग के कड़ाई से वे अति दबाव में आ गये हैं। लगता है कि अन्ना एवं रामदेव से भी आप कुछ प्रभावित हुए हैं।
फिर डॉक्टर ने पूछा कि क्या आपको रामदेव या अन्ना हजारे को कोसने का मौका नहीं मिला। चुनाव प्रचार के दौरान भी आपको संयम बरतना पड़ रहा होगा। षराब की पेटियां जब्त हो जाने के कारण मौज-मस्ती की भी संभावनाएं कम हो गई होगी। यहीं दमित इच्छा उनका हाजमा बिगाड़ रही है।
डॉक्टर ने उनकी पत्नी की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि चिंता करने की बात नहीं है । वे ऑपरेषन भड़ास में कंजूसी न करें। ज्यादा गुस्सा आ रहा हो तो कुर्सी का फेंका- फेंकी कर लें। संसद न चल रहा हो यह क्रिया बाहर भी किसी के साथ किया जा सकता है। लोकपाल के एक प्रति हरदम हाथ में लिए रहें। और गुस्सा आए तो उसे फाड़ दिया करें। 

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