शनिवार, 25 दिसंबर 2010

मंहगाई के मुद्दे पर राष्ट्र के नाम बड्बोलन गुरु का सन्देश

प्यारे देशवासियों
नमस्कार
पूरा देश ठंढ के चपेट में है | लगभग पूरा उत्तर भारत रजाई में दूबक चूका है| शुक्र है प्याज की मंहगाई की जिसने पूरे देश में इतनी गर्मी पैदा की की ठिठुरन भरे मौसम में भी लोगों के पसीने छूटने लगे | सरकार चाहे जितने दावे कर ले लेकिन प्याज की गर्मी पूरी सर्दी गुजार देगी | एक लपकी गई खबर के अनुसार प्याज के दाम ने लोगों को खूब रुलाया | सरकार, विपक्ष एवं जनता तीनो ने मंहगाई का खूब रोना रोया | सरकार रोई की कहीं फिर विपक्ष जनता को भड़का न दे | विपक्ष रोया की कहीं उसकी जेपीसी की मांग हवा हवाई न हो जाय | और पार्टी के द्वारा बुलाई गई किसी रैली में जनता वी वांट जेपीसी की जगह वी वांट ओनियन एंड पोटैटो न लगाने लगे |
प्यारे देशवासियों हम वीर देश के वीर नागरिक हैं | प्याज एवं टमाटर के दाम से हम घबड़ाने वाले नहीं हैं | प्याज एवं टमाटर के दाम ने हमें अपनी वीरता साबित करने का मौका दिया है | क्या आप को पता नहीं की कठिनाइयाँ आपकी प्रतिभा को निखारती है | सोना आग में जलकर हीं निखरता है | हम जितना मंहगाई में जलेंगे उतने निखरेंगे | आओ अपने पूर्वजों का ख्याल करें | उन्होंने कितनी कठिनाई में अपने जिंदगी बसर की | जंगल में रहे | कंदमूल खाए पर मुंह से उफ तक नहीं की | एक हम हैं की थोड़ी सी मंहगाई क्या बढ़ी रोने चिल्लाने लगे | क्या ऐसा करके हम अपने पूर्वजों का सर नीचा नहीं कर रहे हैं |
आईये सत्ता पक्ष एवं विपक्ष को एक दुसरे पर कीचड उछालने दें | देश का पैसा बर्बाद होने दें | हम तो जनता जनार्दन हैं | हमारा कम तो पांच साल तक तमाशा देखना है और अंत में वोट देना है |
सरकार एवं विपक्ष से मेरा कहना है की वो लोगो से कहे की मंहगाई कम हो जाएगी | कहने भर से जनता मान लेगी | जनता पहले भी मानती रही है अब भी मान लेगी | पहले भी आश्वासन पर जीती रही है अब भी जी लेगी | अगर इससे भी काम न चले तो सत्ता पक्ष एवं विपक्ष आरोप एवं प्रत्यारो का नया दौर शुरू कर दें मंहगाई अपने आप कम हो जाएगी |
प्यारे भाइयों हम नेताओं से अपनी तुलना क्यों करते हैं | क्या हमें पता नहीं की वे राजा हैं और हम प्रजा हैं | समस्या तब पैदा होती है जब हम अपनी तुलना उनसे करते हैं | वे कार पर चलते हैं और हम पैदल | वे लाखो रूपये संसद की करवाई रोक कर बर्बाद कर देते हैं और हम पाई-पाई को मोहताज रहते हैं | आप यह समझें की सत्ता के कुछ वसूल होते हैं | सत्ता के कुछ धर्म होते हैं जिनमे जुगाड़ एवं पगार दोनों शामिल है | सत्ता के गलियारे में कुछ रोज पकते हैं जिसपर अच्छे बच्चे शोरगुल नहीं करते मौन हो जाते हैं | हमारे एक भाई नाराज थे की माननीयों ने अपनी पगार बढ़ा ली और हमसे पूछे तक नहीं | तो मेरा मानना है की वे अपनी पगार बढ़ाने में सक्षम हैं | जहाँ आपकी जरुरत होगी वहां जरुर पूछेंगे | चिंता मत कीजिये चुनाव आने वाला है आपकी पूछ खुद-ब-खुद बढ़ जाएगी | प्यारे भाईयों हमारे महापुरुषों ने पूरे विश्व को अपना माना था | आखिर क्यों हमें अपने भाई बंधुओं के घोटाले बर्दाश्त नहीं होते | क्यों उनके कोठे अटारी को देख कर हमें जलन होने लगती है | इसका एक कारण यह भी हो सकता हमें लूट खसोट का मौका नहीं मिला | तो चिंता मत कीजिये अगली बार आप को मिल जायेगा | यह लूट का अंतिम मौका नहीं है |
हम जानते हैं की देश की जनता स्वाभाव से दयालु है | उसने नेताओं के सौ गुनाह मांफ की है | हमने चारा घोटाला भूला दिया | और न जाने कितने घोटाले भूला दिए| और अब आदर्श घोटाले और कॉमन वेल्थ घोटाले को भूलने में समय नहीं लगायेंगे | हालाँकि संसद के मानसून सत्र के दौरान हमने पूरे धैर्य का परिचय दिया | संसद भवन को माननीयों ने दंगल बना दिया और हम दूर कहीं मंगल मनाते रहे |
प्यारे देशवासियों मंहगाई ने हमें एक नया अवसर दिया है | सरकार के लिए समझावन बुझावन मंत्रालय गठित करने का यह सबसे सही समय है | समझावन -बुझावन मंत्रालय गठित कर सरकार अपने किसी असंतुष्ट को संतुष्ट कर सकती है और लाखों बेरोजगारों को समझावन गुरु के पद पर नियुक्त भी कर सकती है | मंहगाई का एक दूसरा फायदा यह है की मंहगाई बढ़ने से लोग पड़ोसियों की बुराई करना छोड़ देते हैं और सरकार की बुराई करने लगते हैं |
भाइयों वैसे तो मेरा संदेश दो -तीन महीने चल सकता लेकिन मुझे आप पर दया आती है खुदा हाफिज |

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