बन गया भगवान मै अपने भक्तों का देखकर दुःख
आचार एवं विचार में असमानता की
मेरे भक्तों को अब रहेगी छूट
घूम- घूमकर बोलो तुम सारे जग में झूठ
भक्त बनने मेरा तुम्हे मिलेगा
जग को लूटने की जीभरकर छूट
जग को लूटने की जीभरकर छूट
आदर्शवादी बनने से
तेरे भाग्य जायेंगे तुझसे रूठ
तेरे भाग्य जायेंगे तुझसे रूठ
बनकर बहुरुपिया तू भोले- भालों पर टूट
गिरगिट की तरह रंग बदलो
और बन जाओ आले दर्जे का धूर्त
मानव जन्म को सार्थक कर ले रे मानव मूर्ख
बढ़िया भड़ास ।।
जवाब देंहटाएंऔर बन जाओ आले दर्जे का धूर्त
जवाब देंहटाएंमानव जन्म को सार्थक कर ले रे मानव मूर्ख
तिवारी जी,कभी मेरे पोस्ट में भी तो आइये ....स्वागत है
मै तो आपका समर्थक पहले से हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,...
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंaap ko mai hmesha hi padhta rahta hu...
जवाब देंहटाएंachha lagta hai aaap ko padhna
wah.....
बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //
जवाब देंहटाएंमै तो आपका समर्थक पहले से हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,
पोस्ट में आने के लिए आभार
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